नई दिल्ली। केंद्र सरकार का खाद्य सब्सिडी बिल 2018-19 के बजट में 10 प्रतिशत बढ़कर 1.60 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच सकता है। सूत्रों का कहना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी तथा खाद्यान्न की सब्सिडी दरों में कोई बदलाव न होने की वजह से केंद्र का खाद्य सब्सिडी बिल बढ़ेगा। वित्त वर्ष 2018-19 का बजट एक फरवरी को पेश किया जाएगा।
नवंबर, 2016 से सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून का क्रियान्वयन कर रही है। इसके तहत देश में 80 करोड़ से अधिक लोगों को खाद्यान्न की आपूर्ति भारी सब्सिडी वाली दरों पर एक से तीन रुपए प्रति किलो में की जाती है। वित्त वर्ष 2017-18 में सरकार ने खाद्य सब्सिडी के लिए 1,45,338 करोड़ रुपए रखे थे। अगले वित्त वर्ष में इसमें 10 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है।
सूत्र ने कहा कि अगले बजट में खाद्य मंत्रालय का कुल बजट आवंटन भी बढ़कर 2.20 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच जाने की उम्मीद है। इसमें खाद्य सब्सिडी भी शामिल होगी। चालू वित्त वर्ष में खाद्य मंत्रालय का बजटीय आवंटन 1.96 लाख करोड़ रुपए है। सरकार के खाद्य बिल में 2018-19 में बढ़ोतरी की संभावना है, क्योंकि धान और गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में सात से आठ प्रतिशत की वृद्धि हुई है। चावल और गेहूं की आपूर्ति गरीब परिवारों को राशन की दुकानों के जरिये की जाती है।
सूत्रों ने बताया कि खाद्य मंत्रालय अगले वित्त वर्ष से राशन की दुकानों को पोर्टेबल करने पर विचार कर रहा है। पहले इसे जिले के भीतर किया जाएगा और बाद में राज्य में। इससे लाभार्थी किसी जिले में स्थित किसी भी राशन की दुकान से सस्ता अनाज ले सकेंगे।
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