आर्थिक सर्वेक्षण: जानिए थालीनॉमिक्स का अर्थशास्त्र, कैसे खाने की थाली से हर परिवार को मिला 11 हजार का फायदा
आर्थिक सर्वे की माने तो 2006 से 2019 के बीच थाली की प्रभावी कीमत में गिरावट दर्ज हुई है
दो वॉल्यूम के 23 खंड मे जारी हुए आर्थिक सर्वेक्षण में एक खंड बाकी से काफी खास है। वॉल्यूम एक का ये हिस्सा है थालीनॉमिक्स का । आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक अर्थव्यवस्था को आम लोगों से जोड़ने का सबसे अच्छा तरीका है उनकी भोजन की थाली। पिछले कुछ सालो में एक थाली खाने के लिए किसी परिवार के खर्च में बदलाव की गणना को ही थालीनॉमिक्स का नाम दिया गया है। सर्वे की माने तो 2006 से 2019 के बीच थाली की प्रभावी कीमत में गिरावट दर्ज हुई है। ये गिरावट इतनी है कि 5 लोगों के एक एक परिवार को इस दौरान औसतन करीब 11 हजार रुपये का लाभ हुआ है।
सर्वे के मुताबिक 2015-16 से शाकाहारी थाली की कीमतों में पूरे भारत और चारों क्षेत्रों में गिरावट देखने को मिली है। सर्फ मौजूदा वित्त वर्ष में थाली की कीमतों में बढ़त दर्ज हुई है। वहीं 2015-16 के बाद शाकाहारी थाली में शामिल खाद्य कीमतों में कमी से एक औसत परिवार को औसतन 10887 रुपये का फायदा मिला। इसी अवधि में मांसाहारी थाली खाने वाले परिवार को औसतन 11787 रुपये का फायदा मिला है। दूसरे शब्दों में कहें तो पिछले कुछ सालों में एक परिवार के लिए खाना पाना सस्ता हो गया है। इसके साथ ही एक औसत श्रमिक की कमाई के आधार पर देखें तो 2006-07 से 2019-20 के दौरान शाकाहारी थाली का खर्च उठाना 29 फीसदी आसान हो गया है। वहीं मांसाहारी थाली का खर्च उठाना 18 फीसदी आसाना हो गया है। सीधे शब्दों में एक थाली खाना कमाने में श्रमिक को पहले के मुकाबले 18 से 29 फीसदी कम मेहनत करनी पड़ रही है
आर्थिक सर्वे में दो तरफ की थालियों की कीमतें शामिल की गई हैं। इसमें शाकाहारी थाली में अन्न सब्जी और दाल शामिल की गई। वहीं मांसाहारी थाली में अन्न सब्जी और गोश्त शामिल किया गया। सर्वे के दौरान इन दोनो थालियों में 2006-07 से अक्टूबर 2019-20 तक की अवधि में कीमतों में परिवर्तन की गणना की गई है। ये कीमतें देश के 78 केंद्रो से प्राप्त की गईं। सर्वे में ये हर दिन के हिसाब से हर शख्स के लिए 2 शाकाहारी या 2 मांसाहारी थालियों की गणना की गई। अन्न के साथ हर थाली के लिए उनकी मात्रा, मसाले तेल और ईंधन खर्च का भी हिसाब रखा गया