Economic Survey 2019-20 highlights
चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 5 प्रतिशत रहेगी। अगले वित्त वर्ष में इसके 6-6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान।
India TV Paisa Desk Jan 31, 2020, 16:03:31 IST
नई दिल्ली। शुक्रवार को संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं।
- चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 5 प्रतिशत रहेगी। अगले वित्त वर्ष में इसके 6-6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान।
- विकास में जान फूंकने के लिए चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय लक्ष्य में कटौती करने की है आवश्यकता।
- उच्च प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, मांग बढ़ने, जीएसटी राजस्व में वृद्धि सहित 10 कारकों के आधार पर चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में वृद्धि दर बढ़ने की है उम्मीद।
- ग्रोथ के लिए सुधारों को और तेज करने की सिफारिश
- 2025 तक भारत को 5 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए नैतिक धन सृजन है कुंजी।
- 2011-12 में औपचारिक रोजगार का हिस्सा 17.9 प्रतिशत था, जो 2017-18 में बढ़कर 22.8 प्रतिशत हो गया, यह अर्थव्यवस्था के औपचारिक बनने को दर्शाता है।
- 2024-25 तक 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करने के लिए बुनियादी ढांचे पर 1.4 लाख करोड़ डॉलर खर्च करने की है जरूरत।
- 2011-12 से लेकर 2017-18 के दौरान शहरों व गांवों में 2.62 करोड़ नए रोजगार हुए पैदा
- वित्त वर्ष 2011-12 से 2017-18 के बीच नियमित रोजगार में महिला श्रमिकों की संख्या आठ प्रतिशत बढ़ीं।
- बाजार में सरकार के अधिक दखल से आर्थिक स्वतंत्रता प्रभावित होती है।
- कर्जमाफी से बिगड़ती है ऋण संस्कृति, वहीं किसानों के औपचारिक ऋण वितरण पर पड़ता है असर।
- सरकार को उन क्षेत्रों की बाकायदा पहचान करनी चाहिए जहां सरकारी दखल अनावश्यक है और उससे व्यवधान होता है।
- सरकारी बैंकों में बेहतर कंपनी संचालन, भरोसा तैयार करने के लिये अधिक खुलासों पर ध्यान देने की वकालत।
- नया कारोबार शुरू करना, संपत्ति का पंजीयन, कर का भुगतान, करार करने आदि को सुगम बनाने पर ध्यान देने पर जोर।
- कच्चा तेल की कीमतें कम होने से चालू खाता घाटे में आयी कमी। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में निर्यात की तुलना में आयात में अधिक तेजी से आई गिरावट का भी योगदान।
- मुद्रास्फीति के अप्रैल 2019 के 3.2 प्रतिशम से गिरकर दिसंबर 2019 में 3.2 प्रतिशत पर आना मांग में नरमी का संकेत।
- चालू वित्त वर्ष में नवंबर माह तक केंद्रीय माल एवं सेवा कर के संग्रह में हुई 4.1 प्रतिशत की वृद्धि।