नई दिल्ली। इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनियों के संगठन सोसाएटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (एसएमईवी) ने सोमवार को प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर हरित कर लगाने की मांग की। इसके अलावा मजबूत व्यवस्था बनाने को लेकर इलेक्ट्रिक वाहनों को प्राथमिक क्षेत्र के तहत कर्ज की श्रेणी में रखे जाने को भी कहा।
बजट के लिए दिए अपने मांग पत्र में सोसाएटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (एसएमईवी) ने सरकार से स्वच्छ वायु अभियान के लिए अलग से बजट आबंटन करने को कहा। इसे स्वच्छ भारत मिशन के तहत एकीकृत किया जा सकता है।
एसएमईवी के महनिदेशक सोहिन्दर गिल ने एक बयान में कहा कि हम प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर हरित उपकर लगाने और इसका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों को गति देने में करने की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे उपकर से सृजित कोष सरकारी खजाने पर बोझ को कम कर सकते हैं।
गिल ने कहा कि इस कोष का उपयोग ग्राहकों को प्रोत्साहन देने और दो पहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों को पेट्रोल से चलने वाले दो पहिया वाहनों की कीमतों के बराबर लाने में किया जा सकता है।
एसएमईवी ने यह भी कहा कि स्वच्छ वायु अभियान के लिए अलग से बजट आबंटित किया जा सकता है ओर इसे स्वच्छ भारत मिशन के तहत एकीकृत किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार उन लोगों को निश्चित अवधि के लिए कर से राहत दे सकती है, जो हरित वाहनों का उपयोग करते हैं और पर्यावरण संरक्षण में योगदान करते हैं।
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