नई दिल्ली। रीयल्टी कंपनियों के शीर्ष संगठन क्रेडाई ने बजट पूर्व मांग में कहा है कि किफायती आवास परियोजनाओं के लिए जमीन खरीदने में बैंकों को डेवलपरों का वित्त पोषण करना चाहिए। क्रेडाई ने सभी कानूनों में किफायती आवास की परिभाषा एक समान करने की भी मांग की।
क्रेडाई ने अपने बजट ज्ञापन में कहा कि परियोजना की कुल लागत में जमीन की 40 प्रतिशत हिस्सेदारी होती है। रेरा के कारण कोई भी डेवलपर बिना सारी मंजूरियां मिले आवासीय इकाइयों की बिक्री नहीं कर सकता है। इसका मतलब है कि या तो प्रवर्तक से या अन्य स्रोतों से पैसे जुटाए जाएं।
उसने कहा कि जमीन के लिए अमूमन या तो एनबीएफसी या निजी इक्विटी वित्त पोषण मुहैया कराते हैं, लेकिन इसकी लागत काफी अधिक 25 प्रतिशत है। क्रेडाई ने कहा कि इस खाई को पाटने के लिए बैंकिंग तंत्र की मदद की जरूरत है।
रिजर्व बैंक से 2008 तक वाणिज्यिक बैंकों द्वारा जमीन के वित्त पोषण की मंजूरी थी। इसे किफायती आवास के लिए जितना जल्दी संभव हो सके, पुन: शुरू किया जाना चाहिए। क्रेडाई ने किफायती आवास के लिए एक समान परिभाषा की भी मांग की।
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