नई दिल्ली। सैनेटरी नैपकिन पर जीएसटी को कम करना या फिर पूरी तरह से खत्म करने की मांग लंबे समय से की जा रही है। इंडिया टीवी के खास कार्यक्रम बजट संवाद के मंच पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सैनेटरी नैपकिन पर जीएसटी घटाने की मांग के पीछे चाइनीज़ कंपनियों की लॉबिंग पर शक जताया। वित्त मंत्री ने कहा कि यदि नैपकिन पर टैक्स घटाया जाता है तो इसका सीधा फायदा चाइनीज़ कंपनियों को मिलेगा, वह समय दूर नहीं होगा कि खिलौनों और झालरों की तरह भारतीय बाजार सिर्फ चाइनीज़ नैपकिन से पटे होंगे।
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इंडिया टीवी के बजट संवाद कार्यक्रम के दौरान इंडिया टीवी के चेयरमैन एंड एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा के सवाल का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी काउंसिल द्वारा सैनेटरी नैपकिन पर जीएसटी की दर 12 फीसदी तय की है। जबकि पहले विभिन्न टैक्स को जोड़ दें तो कुल दर 13.5 फीसदी थी। इसके अलावा सैनेटरी नैपकिन बनाने में प्रयो आने वाले उत्पादों पर 18 फीसदी का इनपुट क्रेडिट भी मिलता है। ऐसे में वास्तविक दर सिर्फ 3 से 4 फीसदी ही बचती है। ऐसे में जीएसटी का मामला उतना बड़ा नहीं है जितना प्रचारित किया जा रहा है।
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वित्त मंत्री ने सैनेटरी नैपकिन से जीएसटी हटाने की मांग के पीछे चाइनीज़ कंपनियां के हितों पर शक जताया। चूंकि विदेशों से आयातित वस्तुओं पर जीएसटी के ऊपर टैक्स अदा करना होता है। उन्होंने कहा जीएसटी घटाने की मांग कर चीनी कंपनियां इसका फायदा उठाना चाहती हैं। सरकार मेक इन इंडिया पर जोर दे रही है, वुमन सेल्फ हेल्प ग्रुप को टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया है। उन्हें नैपकिन बनाने की सुविधा दी जा रही है। इसका फायदा आने वाले समय में मिलेगा।
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