नयी दिल्ली: अगामी वित्त वर्ष 2020-21 के लिये पर्यावरण मंत्रालय के बजट आवंटन में लगभग पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 3100 करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शनिवार को पेश किये गये बजट में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने और प्रदूषण के बजटीय आवंटन को यथावत रखा गया है। प्रदूषण से निपटने के लिये बजट प्रस्ताव में 460 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं। पिछले बजट में भी इस मद में इतनी ही राशि जारी की गयी थी। मंत्रालय द्वारा इस राशि से केन्द्रीय एवं राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वित्तीय मदद के अलावा राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) का वित्त पोषण किया जाता है।
बजट में जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना के लिये पिछले साल के ही समान, 40 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। राष्ट्रीय हरित भारत अभियान के बजट आवंटन को 240 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 311 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा राष्ट्रीय वानिकीकरण कार्यक्रम के लिये इस साल बजट राशि को 179 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 246 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा वन्यजीव संरक्षण के मामले में बाघ संरक्षण पर बजट राशि पिछले साल के 350 करोड़ रुपये से घटाकर 300 करोड़ रुपये और हाथी संरक्षण के लिये 35 करोड़ रुपये की राशि को घटाकर 30 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
वहीं, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के लिये बजट आवंटन में 50 लाख रुपये के मामूली इजाफे के साथ इसे 10.5 करोड़ रुपये कर दिया गया है। जबकि नेशनल कोस्टल मिशन के बजट आवंटन को भी वित्तीय वर्ष 2020-21 में 95 करोड़ रुपये से मामूली बढ़ोतरी कर 103 करोड़ रुपये कर दिया गया है। कोस्टल मिशन के तहत मंत्रालय तटीय क्षेत्रों का सतत विकास करते हुये इनके संरक्षण के अलावा इन इलाकों में रहने वाले समुदायों, खासकर मछुआरों के पारंपरिक समुदायों के संरक्षण, संवर्द्धन और प्रोत्साहन को बढ़ावा देता है
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