PM का 10 साल का प्लान तैयार, जानें मोदी के बजट में आपको क्या मिलने वाला है?
किसान आंदोलन के हंगामे के बीच शुक्रवार से संसद का बजट सत्र शुरू हो गया और इसके साथ शुरू हो गईं देश की जनता की उम्मीदें। कोरोना काल के बाद आ रहे इस बजट में क्या होगा राहत मिलेगी या खर्चा बढ़ेगा इस पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं
नई दिल्ली: किसान आंदोलन के हंगामे के बीच शुक्रवार से संसद का बजट सत्र शुरू हो गया और इसके साथ शुरू हो गईं देश की जनता की उम्मीदें। कोरोना काल के बाद आ रहे इस बजट में क्या होगा राहत मिलेगी या खर्चा बढ़ेगा इस पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की जनता के सामने आकर उनकी टेंशन कम करने की कोशिश हैं। प्रधानमंत्री ने अगले 10 साल तक की प्लानिंग की है। 2021 का बजट नरेंद्र मोदी की योजनाओं का लॉन्च पैड होगा लेकिन सरकार के सामने चैलेंज भी बहुत बड़े हैं।
मोदी के बजट में आपको क्या मिलने वाला है?
इकॉनोमिक सर्वे का कवर पेज साफ-साफ कह रहा है कि चुनौतियों और उम्मीदों के बीच देश की संसद में बजट सत्र की शुरुआत हो चुकी हैं लेकिन ये शुरूआत इस बार बहुत अलग हैं कोरोना महामारी की वजह से इकॉनोमी को नुकसान और इस नुकसान से उभरने के लिए विकास की स्पीड को फिर से पटरी पर लाने की चुनौती...इसलिए सरकार ने इकॉनोमिक सर्वे के कवर पेज पर वायरस वाले तराजू के दो पलड़ों पर एक तरफ रिस्क यानी जोखिम और दूसरी तरफ अपॉर्चुनिटी यानी संभावनाओं को दिखाया है। अर्थव्यवस्था के इस तराजू में सरकार ने साफ मैसेज दिया है कि चैलेंज बड़े हैं लेकिन देश के प्रधानमंत्री को आपदा में अवसर वाली रणनीति पर पर पूरा भरोसा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी बातों से इस बात का इशारा दे दिया है कि बजट का बोझ देश पर नहीं पड़ने दिया जाएगा। कोशिश यही है कि इस बार देश की जनता को राहत भरा बजट मिले ताकि कोरोना काल में हुए नुकसान से देश को उभारा जा सके। हालांकि चुनौती बड़ी है इसका अंदाज़ा आर्थिक विकास दर से लगाया जा सकता है।
आपदा में अवसर की उम्मीद
GDP में नुकसान- 2020-21
पहली तिमाही- 23.9 %
दूसरी तिमाही- 7.5%
वित्त वर्ष- 7.7 % (अनुमान)
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक विकास दर में 23.9 प्रतिशत जबकि दूसरी तिमाही में 7.5 प्रतिशत की गिरावट आई है। अगर पूरे वित्त वर्ष यानी मार्च 2021 तक का अंदाज़ा लगाया जाए तो जीडीपी में कुल 7.7 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है। लेकिन इन आंकड़ों के बीच अच्छी ख़बर ये है कि अगले वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी की ग्रोथ रेट 11 प्रतिशत रहने का अनुमान है यानी संकट के इस दौर से इकॉनोमी को उभारने की तैयारी सरकार पहले ही शुरू कर चुकी है। अर्थव्यवस्था की लॉन्चिंग से पहले इसके शुभ संकेत मिलने लगे हैं।
IIP ग्रोथ रेट यानी इंडस्ट्री से हुए उत्पादन सितंबर में 0.2% से बढ़कर अक्टूबर में 3.6% पहुंचा गया
इसके अलावा स्टील उत्पादन अक्टूबर में 0.2% से बढ़कर नवंबर में 2.7% हो गया
बिजली खपत नवंबर से 3.5% से बढ़कर दिसंबर में 5% पहुंच गई
इसके अलावा पेट्रोल-डीजल की खपत नवंबर में 10.5% बढ़ी
रेल से माल ढुलाई- दिसंबर में 8.54% बढ़ी
GST कलेक्शन नवंबर में 1.05 लाख करोड़ से दिसंबर में 1.14 लाख करोड़ पहुंचा गया
आर्थिक सर्वे का इशारा, बजट से मिलेगा सहारा
आर्थिक सर्वे में सरकार की ओर से एक वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था पर आधिकारिक रिपोर्ट पेश जाती है। जिसमें एक तरफ है सरकार...इकॉनमी के मौजूदा हालात, आगे आने वाली स्थितियों और नीतियों को लेकर आने वाली चुनौतियों और संभावनाओं के बारे में जानकारी देती है। एक तरीके से ये सर्वे अर्थव्यस्था के अलग-अलग क्षेत्रों का ओवरव्यू होता है और सरकार किस क्षेत्र में क्या करने वाली है, इसपर रिपोर्ट पेश करती है लेकिन देश में कोरोना काल के अंधेरे के बावजूद भी सरकार ने उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा। अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लौटने की शुरूआत हो चुकी है इसके कुछ उदाहरण भी देख लीजिए-
- नवंबर 2020 में विदेशी पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स ने भारत में 845 करोड़ डॉलर का निवेश किया यानी कोरोना काल के बावजूद देश में विदेशी निवेश आया
- इसके अलावा जनवरी 2021 में सेंसेक्स पहली बार 50,000 के ऊपर पहुंच गया
- अक्टूबर 2020 में भारतीय कंपनियों ने प्राइवेट प्लेसमेंट से 62,330 करोड़ रुपये जुटाए
- अक्टूबर 2020 में 147 कंपनियां अपने IPO लेकर आई
- सितंबर 2020 में NPA 8.2% से घटकर 7.7% रह गया
- UPI के जरिये कैशलेस ट्रांजैक्शन दिसंबर 2020 में रिकॉर्ड 4.16 लाख करोड़ तक पहुंच गया.
कोरोना का अंधकार, उम्मीद के बजट का इंतजार
इन शुभ संकेतों के बीच बड़ी कंपनियों की बड़ी फैक्ट्रियां चलने लगी हैं, सरकार का टैक्स कलेक्शन बढ़ने लगा है। मैक्रो लेवल पर सारे इंडिकेटर्स ग्रीन ज़ोन में हैं लेकिन स्मॉल और मिडिल स्केल बिजनेस संघर्ष कर रहे हैं जिससे रोजगार पैदा नहीं हो पा रहा। हेल्थकेयर सेक्टर को भी पैसा चाहिए क्योंकि भारत कोरोना जैसी महामारी का सामना कर रहा है और देश में दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम चल रहा है जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में है।