टूटी 159 साल की परंपरा, Budget नहीं अब बही खाता
पीएम नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश करने से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ब्रीफकेस परंपरा को बदल दिया है।
नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश करने से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ब्रीफकेस परंपरा को बदल दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज जब बजट की कॉपी लेकर निकलीं तो उनके हाथ में लाल सूटकेस की जगह लाल रंग के कपड़े में बजट की कॉपी लिपटी नजर आई। वित्त मंत्री के हाथ में लाल रंग का अशोक स्तंभ चिह्न वाला एक कपड़ा था। हमेशा बजट की कॉपी सूटकेस में ले जाने की परंपरा रही है, लेकिन निर्मला सीतारमण ने इस परंपरा को तोड़ते हुए बजट की कॉपी लाल रंग के कपड़े में रखी। ऐसा पहली बार हुआ जब ब्रीफकेस की जगह बजट दस्तावेज को एक लाल रंग के कपड़े में संसद लाया गया हो। इसके साथ ही इसे बजट नहीं बल्कि बही खाता कहा जा रहा है, ऐसे में कहा जा सकता है कि मोदी सरकार इस बार संसद में बजट नहीं बल्कि बहि खाता पेश करेगी।
'बजट नहीं बल्कि बहीखाता'
निर्मला सीतारमण बजट को लाल रंग के कपड़े में लपेटकर लाने को लेकर मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) केवी सुब्रमण्यन ने बताया कि 'यह भारतीय परंपरा है। ये पश्चिमी विचारों की गुलामी से निकलने का प्रतीक है। यह कोई बजट नहीं बल्कि ये बही खाता है।' बता दें कि आजादी के बाद देश का पहला बजट तत्कालीन फाइनैंस मिनिस्टर आर.के. शणमुगम शेट्टी ने 26 नवंबर, 1947 को पेश किया था। वह तब बजट के दस्तावेज लेदर बैग में लेकर आए थे।
टूटी 159 साल की परंपरा
हम सालों से देश के वित्त मंत्री को हर साल बजट की कॉपी लाल रंग के सूटकेस में ले जाते हुए देखते आए हैं। वित्त मंत्री बजट पेश करने से पहले सूटकेस के साथ तस्वीर भी खिंचवाते हैं। ये परंपरा 159 साल पुरानी है।
ऐसा कहा जाता है कि सन 1860 में बिट्रेन के 'चांसलर ऑफ दी एक्सचेकर चीफ' विलियम एवर्ट ग्लैडस्टन फाइनेंसियल पेपर्स के एक बंडल को लेदर के एक बैग में लेकर आए थे, तभी से बजट पेश करने के लिए बजट की कॉपी सूटकेस में ले जाने की परंपरा शुरू हुई। यूनाइटेड किंगडम के वित्त मंत्री लाल रंग के सूटकेस में ही बजट की कॉपी लेकर जाया करते थे।
काला बजट : 1973-74 में तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंतराव चव्हाण द्वारा पेश किए गए बजट को काला बजट की संज्ञा दी जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि उस वक्त 550 करोड़ से ज्यादा का घाटा था। इस बजट में चव्हाण ने 56 करोड़ रुपये में कोयला खदानों, बीमा कंपनियों व इंडियन कॉपर कॉरपोरेशन का राष्ट्रीयकरण किया था।