नई दिल्ली। खुदरा क्षेत्र के उद्यमियों ने फाइनेंस तक आसान पहुंच और क्षेत्र में अधिक निवेश आकर्षित करने के लिये आगामी बजट में उन्हें उद्योग का दर्जा दिए जाने और वस्तु एवं सेवा कर (GST) को सरल बनाने की मांग की है। इसके साथ ही खुदरा कारोबारियों ने मल्टीब्रांड रिटेल क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) व्यवस्था को और उदार बनाने की भी मांग की है। उन्होंने कहा है कि देश में भंडारण सुविधा और कोल्ड स्टोरेज बनाने के लिए प्रोत्साहन दिए जाने चाहिए।
सरकार को बजट पूर्व ज्ञापन में रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (RAI) ने कहा है कि बैंक हस्तांतरण अनुपालन (BTC) उपभोक्ताओं को जारी किए जाने वाले चालान को सरल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जीएसटी रिफंड पाने के लिये कई प्रतियां देने और हाथ से हस्ताक्षर करने जैसी व्यवस्था को समाप्त किया जाना चाहिए।
आरएआई के सीईओ कुमार राजगोपालन ने कहा कि आरएआई ने कई तरह की व्यावहारिक समस्याओं को सामने रखा है। इसके अलावा जीएसटी के क्रियान्वयन में आने वाले चुनौतियों को भी उठाया है। इसी के आधार पर संगठन ने कुछ सिफारिशें भी की हैं।
खुदरा कारोबार क्षेत्र को उद्योग का दर्जा दिए जाने के मुद्दे पर राजगोपालन ने कहा कि इस तरह का कदम उठाये जाने से क्षेत्र को वित्तीय प्रणाली तक आसान पहुंच सुनिश्चित होगी और निवेश बढ़ेगा। उद्योग का दर्जा मिलने से यह क्षेत्र भी सभी तरह के समर्थन और प्रोत्साहनों के योग्य बन जायेगा जैसे कि दूसरे उद्योगों को मिल रहे हैं।
फ्रेंचाइज इंडिया के चेयरमैन गौरव मार्या ने कहा कि छोटे खुदरा विक्रेताओं को बैंकों से वित्तीय सुविधा उपलब्ध कराई जा सकती है ताकि वह आगे बढ़ सकें। इससे उन्हें ग्राहकों तक पहुंचने के लिये अधिक प्रतिस्पर्धी और सामयिक बनाया जा सकेगा।
अन्र्स्ट एंड यंग इंडिया के भागीदारी और भारत क्षेत्र कर मामलों के प्रमुख अशीष कसाद ने कहा कि खुदरा क्षेत्र ने सरकार से मल्टीब्रांड रिटेल क्षेत्र में एफडीआई व्यवस्था को अधिक उदार बनाने की भी मांग की है। उद्योग ने कहा है कि उसे आधुनिक वातानुकूलित भंडारण सुविधाएं स्थापित करने के लिए अधिक प्रोत्साहन दिये जाने चाहिए।
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