नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने शेयरों में निवेश से होने वाले दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (LTCG) पर 10% कर लगाने का प्रस्ताव आम बजट में किया है। यह कर एक लाख रुपए से अधिक के LTCG पर लगेगा। सरकार के इस प्रस्ताव का असर शेयर बाजार पर भी देखने को मिला। सेंसेक्स 35517 और निफ्टी 10888 अंकों तक फिसल कर आ गए। जेटली ने कहा कि 31 जनवरी, 2018 की तिथि तक शेयरों में निवेश से होने वाले पूंजीगत लाभ को इस नई कर व्यवस्था से छूट होगी पर उसके बाद के पूंजीगत लाभ पर नए प्रावधान के तहत कर लगेगा।
जेटली ने कहा कि शेयर बाजारों से रिटर्न काफी आकर्षक है और अब समय आ गया है कि उसे पूंजीगत लाभ कर के दायरे में लाया जाए। आर्थिक वृद्धि के लिए जीवंत शेयर बाजार की अहमियत स्वीकार करते हुए जेटली ने कहा कि वे वर्तमान व्यवस्था में एक मामूली बदलाव का प्रस्ताव कर रहे हैं।
इसके साथ ही वित्त मंत्री ने इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड द्वारा वितरित आय पर 10 प्रतिशत की दर से कर (DDT) लगाने का भी प्रस्ताव किया है ताकि विकास उन्मुख फंडों और लाभांश वितरक फंडों के लिए समान अवसर संभव हो सके।
पूंजीगत लाभ कर में इस बदलाव से 2018-19 में लगभग 20,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा और आने वाले समय में इस राजस्व में बढ़ोतरी होगी। जेटली ने कहा कि सूचीबद्ध शेयरों के हस्तांतरण से प्राप्त दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ, शेयर केंद्रित निवेश इकाइयां और कारोबारी न्यास अभी कर से मुक्त हैं। सरकार के सुधारों और प्रोत्साहनों ने शेयर बाजार को तेजी दी है।
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2017-18 के लिए दाखिल रिटर्नों के अनुसार सूचीबद्ध शेयरों एवं इकाइयों का करीब 3,67,000 करोड़ रुपए का पूंजीगत लाभ कर मुक्त रहा है।
इस लाभ का बड़ा हिस्सा कंपनियों और सीमित दायित्व वाली देनदारियों (LLP) के खाते में गया है। इससे विनिर्माण के खिलाफ पूर्वाग्रह की स्थिति बनी है और इसके कारण अधिकांश कारोबारी अधिशेष का निवेश वित्तीय परिसंपत्तियों में किया जा रहा है।
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