नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2018-19 के बजट से आम जनता को काफी उम्मीदें हैं। यह 2019 के लोगसभा चुनाव से पहले का पूर्ण होगा। बहुत ज्यादा संभव है कि इसे 1 फरवरी 2018 को पेश किया जाए। वित्त मंत्री अरुण जेटली लगातार पांचवीं बार आम बजट संसद में पेश करेंगे और अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि यह बजट बुनियादी ढांचे और ग्रामीण क्षेत्र पर केंद्रित होगा। सरकार का ज्यादा ध्यान अपने उस वादे को पूरा करने की दिशा में होगा जिसमें किसानों की आय दोगुनी करने की बात कही गई थी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 15वें हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट 2017 में खुद ही कहा था कि 2018 के बजट में बुनियादी ढांचे और ग्रामीण क्षेत्रों पर ज्यादा फोकस किया जाएगा। उन्होंने कहा था कि हमारे पास जो भी अतिरिक्त संसाधन हैं उनका खर्च इन क्षेत्रों पर किया जाएगा।
बुनियादी ढांचे पर खर्च से जहां निवेश में सुधार होगा वहीं ग्रामीण क्षेत्रों पर अतिरिक्त फोकस से गांवों की समस्याएं समाप्त करने में मदद मिलेगी।
इसके अलावा, अप्रत्यक्ष कर ढांचे में वस्तु एवं सेवा कर (GST) के जरिए ऐतिहासिक बदलाव के बाद यह उम्मीद भी की जा रही है कि इनकम टैक्स के मोर्चे पर करदाताओं को कुछ राहत दी जा सकती है। मोदी सरकार के इस कदम से कर चोरी पर लगाम लगेगी और लोग निवेश और बचत के विभिन्न विकल्पों में बचे पैसे लगा सकते हैं।
कुछ अर्थशास्त्रियों का यह भी मानना है कि सरकार कॉरपोरेट को भी टैक्स में राहत दे सकती है। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय उद्योगों को वैश्विक उद्योगों के प्रतिस्पर्धी बनाना होगा।
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