नई दिल्ली: पिछले पांच सालों में भारत की डिफेंस का नज़रिया एकदम बदल चुका है। अब भारत का रुख ज्यादा सख्त है और इसके लिए ज्यादा ताकत की ज़रूरत भी है इसीलिए रक्षा क्षेत्र को इस बार निर्मला सीतारमण से बड़ी उम्मीदें हैं। ये उम्मीद की जा रही हैं कि निर्मला सीतारमण आज रक्षा बजट पर बड़ा ऐलान कर सकती है। जहां देश की पहली पूर्णकालिक रक्षामंत्री रहते हुए निर्मला सीतारमण ने अहम खरीद समझौतों को अंजाम दिया है तो वहीं उनके रक्षामंत्री रहते बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक और पुलवामा का बदला लिया गया।
अब आज वित्तमंत्री के तौर पर जब वो बजट पेश करेंगी तो उम्मीद है कि देश की सामरिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए कदम उठाएंगी। भारत की रक्षा ज़रूरतों को जानने से पहले एक बार अपने पड़ोसियों के डिफेंस बजट पर नज़र डाल लेते हैं। इंटरनेश्नल पीस रिसर्च इंस्टीटयूट के मुताबिक हमारे पड़ोसी चीन का रक्षा बजट 250 बिलियन डॉलर का है, ये उसकी जीडीपी का 3 फीसदी है।
पाकिस्तान का रक्षा बजट 9.6 बिलियन डॉलर का है, ये पाकिस्तान की जीडीपी का 3.5 फीसदी है। अमेरिका का रक्षा बजट 694 बिलियन डॉलर का है, ये अमेरिका की जीडीपी का 3.2 फीसदी है। वहीं भारत का रक्षा बजट 46.5 बिलियन डॉलर का है, ये भारत की जीडीपी का 1.54 फीसदी है।
जाहिर है चीन या अमेरिका के मुकाबले हमारा रक्षा बजट काफी कम है लेकिन ये इसलिए है क्योंकि हमारी चुनौतियां अलग हैं लेकिन जानकार बताते हैं कि हमारी जरूरतें बजट से कहीं ज्यादा हैं इसीलिये इस बार का रक्षा बजट अलग हो सकता है।
इस बार भारत के नौसेना में यूटिलिटी हेलीकॉप्टर, मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर और पनडुब्बियों की जरूरत है। भारतीय वायु सेना नए लड़ाकू विमानों की खरीद का इंतजार कर रही है और भारतीय थल सेना भी ज्यादातर पुराने उपकरण इस्तेमाल कर रही है। उन्हें टैंक और पैदल सेना को लड़ाकू वाहनों की जरूरत है।
भारत की सेना को नए हथियार, विमान, युद्धक पोत और हार्डवेयर की खरीद के लिए बजट की ज़रूरत है। जिस तरह से हमारी सेना को आधुनिकीकरण की जरूरत है उसके लिहाज से बजट में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा सकती है। खास तौर पर मेक इन इंडिया के तहत डिफेंस प्रोडक्शन के लिए बड़ा ऐलान हो सकता है।
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