लेन डिपार्चर वॉर्निंग सिस्टम क्या है, जानिए कार के इस सिस्टम से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
वाहन निर्माता कंपनी लोगों की सुरक्षा के लिए इसे कई एडवांस फीचर्स के साथ लॉन्च करती है। इन्हीं में से एक लेन डिपार्चर वार्निंग सिस्टम है।
भारत सहित दुनिया भर के कई देशों में सबसे अधिक लोग सड़क दुर्घटना में इस दुनिया को अलविदा कह जाते हैं। व्हीकल बनाने वाली कंपनी भी लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इसे कई एडवांस फीचर्स के साथ लॉन्च करती है। वहीं दूसरी तरफ इसे और भी आधुनिक बनाने के लिए बहुत सारे इंजीनियर्स लगातार रात दिन काम कर रहे हैं। सड़क पर गाड़ी चलाते समय कुछ लोग जाने अनजाने में गलत लेन में चले जाते हैं। इससे कई बार पीछे से आने वाली गाड़ियां टकरा भी जाती है।
सिर्फ इतना ही नहीं कई बार तो सर्दियों के मौसम में विजुअलिटी कम होने की वजह से एक साथ एक नहीं बल्कि कई गाड़ियां एक साथ टकराती है। इससे छुटकारा पानी के लिए लेन डिपार्चर वार्निंग सिस्टम की मदद ले सकते हैं।
इसे कहते हैं लेन डिपार्चर वार्निंग सिस्टम
आज के समय में बहुत सारी गाड़ियां आधुनिक फीचर्स के साथ आ रही है। इन्हीं फीचर्स में से एक ADAS है। इसकी मदद से एक्सप्रेसवे या हाईवे के ऊपर गाड़ी चलाते समय जब भी ड्राइवर लेन बदलते हैं उस समय उन्हें अन्य गाड़ियों के बारे में जानकारी मिल जाती है। सिर्फ इतना ही नहीं आसपास मौजूद गाड़ी कितने मीटर की दूरी पर है इसे भी कैमरे और सेंसर की मदद से चेक कर सकते हैं। व्हील से इन सेंसर का सीधे जुड़ाव होने की वजह से दुर्घटनाएं होने से बच जाते हैं।
ये कैसे काम करता है
लेन डिपार्चर वार्निंग सिस्टम की मदद से आज के समय में हजारों लोग दुर्घटनाग्रस्त होने से बच रहे हैं। इस सिस्टम का आप तभी इस्तेमाल कर सकते हैं जब सड़क के ऊपर पहले से सफेद या पीले रंग की पट्टी बनी हुई हो। इसे स्कैन करने के बाद ही लेन डिपार्चर वार्निंग सिस्टम सही तरीके से काम करता है। गाड़ी चलाते समय जैसे ही इसके पहिए पट्टी को छूते हैं उसी समय ड्राइवर को चेतावनी के रूप में दूसरे लेन में जाने की जानकारी मिल जाती है।
लेन कीप असिस्ट क्या होता है
गाड़ी को गलत लेन में जाने के बाद ड्राइवर अलार्म की आवाज सुनकर इसे दोबारा से उसी लेन में ले जाने की कोशिश करते हैं जिसमें वे पहले थे। इस पूरी प्रक्रिया को लेन कीप असिस्ट कहते हैं। किसी अनहोनी होने की स्थिति में लेन सेंटरिंग असिस्ट फीचर से कार की स्टेरिंग को कंट्रोल कर इसे सेंटर में लाते हैं। किसी वजह से अगर ड्राइवर इस चेतावनी को नहीं समझ पाते हैं तो ऐसी स्थिति में ऑटोमेटिक लेन कीपिंग सिस्टम के जरिए इसे दोबारा से सही लेन में ला सकते हैं।