डीजल जेरनेटर से होने वाले प्रदूषण पर लगेगी लगाम, भारतीय सौर स्टार्टअप Su-Vastika ने इजाद की यह नई तकनीक
सर्दियों में प्रदूषण की समस्या विकराल हो गई है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत देश के कई शहर गंभीर प्रदूषण से जूझ रहे हैं।
सर्दियों में प्रदूषण की समस्या विकराल हो गई है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत देश के कई शहर गंभीर प्रदूषण से जूझ रहे हैं। ठंड में प्रदूषण बढ़ने की कई वजह, जिनमें से एक डीजल जेनरेटर भी है। बिजली जाने पर पावर बैकअप के लिए बड़ी-बड़ी सोसाइटी से लेकर अस्पताल तक में डीजल जेनरेटर का इस्तेमाल होता है। इससे बड़े पैमाने पर प्रदूषण फैलता है। इस समस्या से निजात दिलान के लिए भारतीय सौर स्टार्टअप Su-Vastika ने लिथियम आयन बैटरी से तैयार ऊर्जा भंडारण प्रणाली (ईएसएस) लॉन्च किया है। इसकी मदद से बिजली जाने पर 4 से 6 घंटे का बैकअप आसानी से प्रदान किया जा सकता है। ईएसएस बहुत तेजी से चार्ज हो जाता है। साथ ही यह कोई प्रदूषण भी नहीं फैलाता है। इससे बड़े से बड़े रेजिडेंशियल अपार्टमेंट, अस्पताल या फैक्ट्री में पावर बैकअप दिया जा सकता है। यह डीजल जनरेटर के मुकाबले सस्ता भी है। सबसे बड़ा फायदा है कि इससे कोई प्रदूषण नहीं फैलाता है।
अलग-अलग रेंज के ईएसएस उपलब्ध
ईएसएस बैटरी बैंक लिथियम LIFEPO4 तकनीक है। इसलिए सुरक्षा को लेकर कोई खतरा नहीं है। यह बिल्कुल सुरक्षित है। बैटरी बैंक के आकार के माध्यम से बैकअप समय बढ़ाया जा सकता है। ईएसएस को चार्ज करने के लिए सौर पैनल लगाया जा सकता है। भारतीय सौर स्टार्ट-अप Su-vastika ने 10 KVA से 250 KVA तक की परिवर्तन क्षमता वाले ESS (Energy Storage System) लॉन्च किए हैं, जिन्हें क्षमता के अनुरूप बढ़ाया जा सकता है। इसमें इनबिल्ट सोलर चार्ज कंट्रोलर लगा जो सोलर रूफ से वोल्टेज और करंट को नियंत्रित करता है ताकि बाहर धूप होने पर बैटरी को बेहतर तरीके से चार्ज किया जा सके और सोलर पावर के अनुपलब्ध होने पर ग्रिड सप्लाई में शिफ्ट हो जाए। इस स्टार्टअप के फाउंडर खुशबू सचदेव और Su-Kam ब्रांड के संस्थापक कुंवर सचदेव बेहतरीन इंजीनियरों की एक मजबूत टीम के साथ लगातार इनोवेशन पर काम कर रहे हैं।
रनिंग कॉस्ट डीजी सेट का लगभग एक-चौथाई
ईएसएस की रनिंग कॉस्ट डीजी सेट का लगभग एक-चौथाई है। साथ ही कई पेरेशानियों से भी बचाता है। डीजल जनरेटर चालने के लिए डीजल लाना और उसका भंडारण करना बड़ी चुनौती होता है। ईएसएस के साथ इस समस्या से दो चार नहीं होता है। इसके साथ ही इसका रनिंग कॉस्ट डीजल जेनरेटर के मुकाबले काफी कम पड़ता है। साथ ही ईएसएस के उपयोग के आधार पर 7 से 10 वर्षों तक चलता है। यानी लंबी अवधि में यह डीजी के मुकाबले एक चौथाई लागत पर पावर बैकअप मुहैया कराता है।