Electric Car को खरीदने का कर रहें हैं प्लान तो इन 5 मुसीबत से भी लड़ने के लिए हो जाएं तैयार
इन दिनों लोग इलेक्ट्रिक कार के तरफ आकर्षित हो रहे हैं, लेकिन बिनाजांच पड़ताल के इलेक्ट्रिक गाड़ी खरीदना नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए इलेक्ट्रिक गाड़ी खरीदने से पहले कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए। आइए जानते हैं उनके बारे में विस्तार से।
Electric Car: ऑटो एक्सपो 2023 को देखें तो ये समझना आसान हो जाता है कि आने वाला समय इलेक्ट्रिक वाहनों का ही होने वाला है। जीरो पॉल्यूशन, शोर भी कम और पेट्रोल के बढ़ते दामों से भी आजादी, एक नजर में देखें तो इलेक्ट्रिक वाहनो में बस खूबियां ही खूबियां हैं। पर सिर्फ ऐसा नहीं है, इलेक्ट्रिक वाहनों में कुछ ऐसी मुसीबतें भी आ सकती हैं जिनके आने पर पेट्रोल या डीजल कार की याद आ सकती है। अगर आप भी इलेक्ट्रिक कार खरीदने का प्लान कर रहे हैं तो इन 5 समस्याओं से लड़ने के लिए भी तैयार रहें।
रेंज लिमिट
इलेक्ट्रिक वाहन लेने पर सबसे बड़ी समस्या ये है कि इसकी रेंज लिमिटेड होती है। इन दिनों कोई इलेक्ट्रिक वाहन 300 किलोमीटर की रेंज का दावा कर रहा है तो कोई 350 तो कोई 400। शहर के अंदर गाड़ी चलाने के लिए तो ये रेंज बहुत अच्छी है। पर जो लोग एक शहर से दूसरे शहर आने-जाने के लिए अपनी कार का इस्तेमाल करते हैं उन्हें इस लिमिटेड रेंज से दिक्कत हो सकती है। दरअसल इलेक्ट्रिक कार अभी हमारे लिए इतनी नई है कि रोज-रोज इसको चार्ज पर लगाना भी याद रखना एक मुश्किल काम है।
हालांकि अगर आपकी कार 400 किलोमीटर रेंज देने का वादा करती है तो कोशिश यही कीजिए कि एक बार में 350 किलोमीटर से ज्यादा लंबा सफर न करें क्योंकि 400 किलोमीटर की रेंज मैक्सीमम होती है, असल रास्ते पर ये रेंज कुछ कम हो सकती है।
चार्ज के लिए इंतजार
नॉर्मल कार का फ्यूल टैंक खाली होने पर जब आप पेट्रोल पम्प जाते हैं तब बहुत भीड़ होने पर भी 30 से 40 मिनट्स में फ्यूल भरवा लेते हैं। रेगुलर जाने पर ये टाइम 10 से 15 भी मुश्किल से होता है। लेकिन इलेक्ट्रिक कार को नॉर्मल एसी चार्जर से चार्ज करने में मिनिमम 5 घंटे और मैक्सिमम 19 घंटे तक लग सकते हैं।
इससे बचने का यही तरीका है कि अपनी कार को रोज थोड़ा-थोड़ा घर पर चार्ज करते रहें। हालांकि कार को चार्ज करने के लिए फास्ट चार्जर फैसिलिटी भी होती है, पर उसे घर पर इस्तेमाल नहीं कर सकते।
फास्ट चार्जर ढूंढना आसान नहीं
भारत में अभी इलेक्ट्रिक वाहनों की शुरुआत हुई है इसलिए पैड फास्ट चार्जिंग पॉइंट्स भी अभी ज्यादा इंस्टॉल नहीं हुए है। फास्ट डीसी चार्जिंग के लिए किसी चार्जिंग प्लांट पर डिपेंड होना भी इलेक्ट्रिक वाहनों की एक मजबूरी है क्योंकि ये फास्ट चार्जिंग पॉइंट घरेलू कालोनी में लगाने की परमिशन अभी तक नहीं मिली है।
बैटरी है बहुत महंगी
इलेक्ट्रिक कार्स यूं तो लो मेन्टीनेंस होती हैं। इनकी सर्विसिंग में भी बहुत ही मिनिमम खर्च आता है पर इनकी बैटरी लाइफ सीमित होती है। अगर गाड़ी बहुत इस्तेमाल होती है तो 3 से 5 साल में बैटरी कमजोर हो सकती है और कार की बैटरी बहुत महंगी आती है। इसलिए बेहतर यही है कि आप वो इलेक्ट्रिक कार लें जिसमें कार कंपनी कम से कम 5 साल तक बैटरी लाइफ की वारंटी ले। हालांकि अब ऐसी कार्स भी आ रही हैं जो 8 साल तक बैटरी लाइफ की वारंटी लेती हैं।
कीमत भी होती है ज्यादा
नॉर्मल 5 सीटर कार के मुकाबले इलेक्ट्रिक 5 सीटर कार की कीमत ज्यादा होती है। ये फर्क कई लाख तक हो जाता है। हालांकि ये फर्क सिर्फ शुरुआत में ज्यादा लगता है, लॉन्ग रन में देखें तो इलेक्ट्रिक कार की प्रति किलोमीटर कोस्ट फ्यूल कार के मुकाबले 20% भी नहीं होती है।