देश में प्रदूषण को लेकर समस्या बढ़ती जा रही है। इसको लेकर भारत सरकार हर संभव कोशिश कर रही है। इसको ध्यान में रखते हुए गाड़ियों की चेकिंग में पहले से अधिक सख्ती बरती जा रही है। ऐसे में अगर आपको पास PUC सर्टिफिकेट नहीं है तो आपको चालान देना पड़ सकता है। बहुत से लोगों को PUC सर्टिफिकेट के बारे में जानकारी नहीं है। आज हम आपको बताएंगे कि पीयूसी सर्टिफिकेट क्या होता है और इसके कैसे प्राप्त कर सकते हैं।
क्या है पीयूसी सर्टिफिकेट
पीयूसी सर्टिफिकेट प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र को कहते हैं। गाड़ियों से निकलने वाले प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए रजिस्टर्ड पीयूसी केंद्रों के जरिए जारी किया जाता है। पीयूसी सेंटर में गाड़ियों का फिटनेस सर्टिफाइड किया जाता है। पीयूसी सेंटर पर टेस्ट इंस्पेक्टर द्वारा टाइम टू टाइम टेस्ट भी की जाती है ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि पीयूसी सेंटर द्वारा सही सर्टिफिकेट दिया जा रहा है या नहीं।
ऐसे बनवा सकते हैं पीयूसी सर्टिफिकेट
पहले पीयूसी सर्टिफिकेट बनवाने के लिए उस व्यक्ति के नंबर पर ओटीपी आता था। हालांकि कई बार ओटीपी नहीं आने की कंप्लेन आ चुकी थी। साथ ही सॉफ्टवेयर में दिक्कत होने के कारण ओटीपी आने में 15-20 मिनट लग जाते थे। इस वजह से पेट्रोल पंप और पीयूसी सेंटर पर भीड़ जमा हो जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। प्रदूषण की जांच को आसान बना दिया गया है। जब से सॉफ्टवेयर अपग्रेड हुआ है तबसे ये समस्या नहीं आ रही है। पीयूसी के फॉर्मेट में भी चेंजेज आए हैं।
पीयूसी सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए-
- आपको पीयूसी सेंटर जाना होगा।
- इसके बाद ऑपरेटर एग्जॉस्ट पाइप से आपकी कार के एमिशन लेवल की जांच होगी जिसके लिए आपको 60 से 100 रुपये तक का भुगतान करना होगा।
- टेस्ट करने के बाद आपको पीयूसी सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा।
- इतने रुपये का कट सकता है चालान
मोटर वाहन अधिनियम 1988 के अनुसार अगर कार चलाने वाले व्यक्ति के पास कार चलाते समय गाड़ी में इंश्योरेंस पॉलिसी, रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, ड्राइविंग लाइसेंस, पीयूसी सर्टिफिकेट होना अनिवार्य है। अगर कार में पीयूसी सर्टिफिकेट नहीं है तो इसके लिए आपको 10,000 रुपये का जुर्माना लग सकता है। नई कारों में एक साल के लिए पीयूसी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है लेकिन उसके बाद समय समय पर जांच कराना बहुत जरूरी है और हर बार टेस्ट के बाद एक नया सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा।
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