टॉप गियर में इलेक्ट्रिक वाहन का क्षेत्र, अगले 4 साल में आएंगे तीन लाख करोड़ रुपये के कारोबारी मौके
वित्त वर्ष 2025-26 तक ईवी मामले में दोपहिया वाहनों की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत, तिपहिया के संदर्भ में 25 से 30 प्रतिशत और कार तथा बसों के मामले में पांच प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है।
मुंबई। देश का इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र वित्त वर्ष 2025-26 तक विभिन्न भागीदारों या हितधारकों को करीब तीन लाख करोड़ रुपये का कारोबार उपलब्ध कराएगा। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि साझा परिवहन व्यवस्था, बैटरी अदला-बदली नीति और पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों को ईवी में बदलने को लेकर रुचि तथा सरकारी समर्थन से क्षेत्र में तेजी आने की उम्मीद है।
कारोबार के इन अवसरों में मूल उपकरण विनिर्माताओं के लिये विभिन्न वाहन खंडों में करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये तथा और वाहनों का वित्तपोषण (फाइनेंस) करने वालों के लिये लगभग 90,000 करोड़ रुपये की संभावित आय शामिल है। कारोबार के अन्य अवसर साझा परिवहन व्यवस्था और बीमा क्षेत्र में आएंगे। क्रिसिल के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 तक ईवी मामले में दोपहिया वाहनों की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत, तिपहिया के संदर्भ में 25 से 30 प्रतिशत और कार तथा बसों के मामले में पांच प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इलेक्ट्रिक वाहनों स्वीकार्यता में तेजी बनी रहेगी क्योंकि लोग अब पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों की जगह ईवी को तरजीह दे रहे हैं। वाहन पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहनों की हिस्सेदारी बढ़कर पिछले वित्त वर्ष में पांच प्रतिशत हो गयी जो वित्त वर्ष 2017-18 में एक प्रतिशत से कम थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, इलेक्ट्रिक दोपहिया और बसों की हिस्सेदारी पिछले वित्त वर्ष में बढ़कर क्रमश: दो प्रतिशत और चार प्रतिशत पर पहुंच गई। विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि यह बदलाव केवल बड़े शहरों तक सीमित नहीं है। क्रिसिल ने कहा कि छोटे शहरों में भी बिजलीचालित वाहनों को लेकर आकर्षण बढ़ रहा है। इसका कारण सरकार के वित्तीय और गैर-वित्तीय कदम हैं।
रेटिंग एजेंसी के निदेशक जगन नारायण पद्मनाभन ने कहा, ‘‘ईवी के आने से मौजूदा और उद्योग में आये नये विनिर्माताओं दोनों के लिये अवसर हैं। ये अवसर नवोन्मेष और तेजी से उभर रहे यात्री और माल ढुलाई वाहनों में है।
ईवी उद्योग के परिवेश से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करने के लिये सरकार संरचनात्मक रूप से बैटरी अदला-बदली नीति तैयार करने पर विचार कर रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह की सुविधाएं ईवी क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित होंगी। इसके अलावा, वित्त उपलब्धता में सुधार से भी ईवी की स्वीकार्यता बढ़ेगी।’’