Entry level cars: छोटी कारों की बढ़ेगी मांग, पहली बार गाड़ी खरीदने वाले बढ़ाएंगे बिक्री
Entry level cars: कुल यात्री वाहनों के बाजार में हैचबैक की हिस्सेदारी लगभग 45-46 प्रतिशत थी, लेकिन पिछले साल यह लगभग 38 प्रतिशत तक गिर गया।
Highlights
- एसयूवी की हिस्सेदारी बढ़कर 40 प्रतिशत हो गई
- कुल बिक्री में छोटी कारों की मांग बढ़ने की उम्मीद
Entry level cars: मारुति सुजुकी इंडिया को उम्मीद है कि कुल घरेलू यात्री वाहन बाजार में घटती हिस्सेदारी के बावजूद छोटी कारों की बिक्री में वृद्धि जारी रहेगी। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही। ऐसे वक्त में जब वहनीयता एक प्रमुख चिंता है, जिसके चलते छोटी कार खंड की वृद्धि प्रभावित हुई है, मारुति सुजुकी पहली बार कार खरीदने वालों पर खासतौर से ध्यान दे रही है। ऐसे में कंपनी का फोकस ग्रामीण और उपनगरीय क्षेत्रों - टियर-2 और टियर-3 शहरों के ग्राहकों पर है। मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक (विपणन और बिक्री) शशांक श्रीवास्तव ने बताया, ''हम मानते हैं कि कुल बिक्री संख्या (छोटी कारों की) में वृद्धि होगी, लेकिन यात्री वाहनों की कुल संख्या के प्रतिशत के रूप में, जो इस समय 38 प्रतिशत है, इसमें कमी हो सकती है।'' कुल यात्री वाहनों के बाजार में हैचबैक की हिस्सेदारी लगभग 45-46 प्रतिशत थी, लेकिन पिछले साल यह लगभग 38 प्रतिशत तक गिर गया।
एसयूवी की हिस्सेदारी बढ़कर 40 प्रतिशत हो गई
दूसरी ओर एसयूवी की हिस्सेदारी बढ़कर 40 प्रतिशत हो गई और यह सबसे अधिक बिक्री वाला खंड बन गया। उन्होंने कहा कि यदि आप बिक्री संख्या के लिहाज से देखें तो छोटी कार खंड का आकार अभी भी बहुत बड़ा है। यह पूछने पर कि एमएसआईएल को छोटी कार खंड को लेकर तेजी की उम्मीद क्यों है, श्रीवास्तव ने कहा कि भविष्य में भारत की आर्थिक वृद्धि के साथ परिवहन संबंधी जरूरतें भी बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में ऐसे ग्राहक होंगे, जो पहली बार कार खरीद रहे हैं। पहली बार कार खरीदने वाले होंगे, तो इसका मतलब है कि हैचबैक की मांग बनी रहेगी।
होंडा को अपनी हिस्सेदारी बढ़ने की उम्मीद
एसयूवी खंड में दोबारा कदम रखने की तैयारियों में जुटी जापानी वाहन विनिर्माता होंडा को आने वाले समय में अपने भारतीय कारोबार में वृद्धि की उम्मीद है। होंडा कार्स इंडिया के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी ताकुया सुमुरा ने हुए कहा कि कंपनी ने पिछले कुछ वर्षों में अपने कारोबार गठन को फिर से फायदेमंद बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। हालांकि उन्होंने यह स्वीकार किया कि पिछले तीन वर्षों में कंपनी को मुश्किल हालात का सामना करना पड़ा। उन्होंने इसके लिए इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ कदम बढ़ाने के नीतिगत निर्णय का जिक्र करते हुए कहा कि इस नई वाहन प्रौद्योगिकी के हिसाब से संयंत्रों एवं परिचालन के पुनर्गठन की जरूरत पड़ी। सुमुरा ने कहा कि कारोबार पुनर्गठन प्रक्रिया के तहत होंडा के कई वैश्विक संयंत्रों को बंद करने का फैसला किया गया जिसमें एक संयंत्र भारत में भी स्थित है। उन्होंने कहा, "पिछले कुछ वर्षों में हमारे लिए वक्त मुश्किल था लेकिन मैं अब कह सकता हूं कि यह दौर बीत चुका है और कंपनी अब सेहतमंद स्थिति में है।"