दुनिया की सबसे सस्ती कार और टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा के ड्रीम प्रोजेक्ट टाटा नैनो के बंद होने की आशंका बढ़ गई है। नैनो की कम बिक्री और इसके उत्पादन में आ रहे ज्यादा खर्च की वजह से टाटा मोटर्स को घाटा हो रहा है। भविष्य में टाटा नैनो को बाजार में बनाए रखने के लिए कंपनी इसकी तकनीक को अपग्रेड करना होगा जिसपर खर्च और बढ़ेगा। ऐसे में टाटा मोटर्स नैनो के खर्चीले और घाटे में चल रहे प्रोजेक्ट में निवेश बढ़ाने की फिराक में नहीं दिख रही।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक टाटा नैनो की टेक्नोलॉजी को BS-IV तक अपग्रेड करने के लिए टाटा मोटर्स को इस प्रोजेक्ट पर निवेश करना होगा साथ में कार के क्रैश टेस्ट तकनीक को अपग्रेड करने में भी खर्च आएगा जिसके बाद कार की कीमत करीब एक लाख रुपये बढ़ जाएगी और नैनो की मौजूदा सेल को देखते हुए कंपनी इस प्रोजेक्ट पर ज्यादा निवेश करने की इच्छुक नहीं है। सूत्रों के मुताबिक कंपनी ने नैनो के किसी भी सप्लायर को BS-IV के लिए तैयार रहने के लिए नहीं कहा है।
ईंधन खपत नियमों के मुताबिक 2020 तक कार निर्माता कंपनियों को BS-IV तकनीक अपनाना जरूरी है साथ में 2019 तक कार क्रैश टेस्ट तकनीक को अपग्रेड करना भी जरूरी है। लेकिन टाटा नैनो की बिक्री लगातार कम हो रही है और कंपनी का यह प्रोजेक्ट लंबे समय से घाटे में चल रहा है, ऐसे में कंपनी इस प्रोजेक्ट पर ज्यादा पैसा नहीं लगाना चाहती। टाटा संस के पूर्व चेयरमैन सायरस मिस्त्री ने कहा था कि टाटा नैनो के प्रोजेक्ट से करीब 6,400 करोड़ रुपए का घाटा हो रहा है।
इस साल मार्च में टाटा नैनो की मासिक बिक्री घटकर सिर्फ 164 दर्ज की गई है जो अबतक की सबसे कम मासिक बिक्री है, अप्रैल और मई के दौरान नैनो की मासिक बिक्री 300 से थोड़ा अधिक रही है।
टाटा मोटर्स के प्रवक्ता ने हालांकि टाटा नैनो के बंद होने की अटकलों पर विराम लगाया है, उनका कहना है कि यह सेगमेंट कंपनी के लिए बहुत जरूरी है, उनके मुताबिक जिन मार्केट्स में नैनो की मांग रहेगी उनके लिए कंपनी इस कार को बनाती रहेगी।
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