मुंबई। स्वैच्छिक वाहन आधुनिकीकरण कार्यक्रम (वी-वीएमपी) या स्क्रैपपेज स्कीम (वाहनों को कंडम करने) से वित्त वर्ष 2017-18 से 2019-20 के दौरान कमर्शियल गाड़ियो की बिक्री 2015-16 की तुलना में 65 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। इस कार्यक्रम की घोषणा परिवहन मंत्रालय ने की है।
4.4 लाख गाड़ियों की बढ़ेगी बिक्री
- क्रिसिल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दौरान गाड़ियों की बिक्री 4.4 लाख यूनिट्स तक पहुंच सकती है।
- वित्त वर्ष 2015-16 में बिक्री 6.8 लाख यूनिट या 66,500 करोड़ रुपए रही थी।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि वी-वीएमपी योजना से बढ़ी हुई बिक्री 4.4 लाख इकाई या 66,000 करोड़ रुपए रह सकती है।
- यह इन तीन साल में कुल 65 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी।
- यदि यह योजना क्रियान्वयन में आती है तो करीब दो लाख कमर्शियल गाड़ी कबाड़ हो जाएंगे।
- इन्हें तीन वित्त वर्षों में सामान्य प्रक्रिया के तहत बदला जाएगा।
- सालाना 67,000 वाहनों के कंडम होने के आंकड़ों के आधार पर इस योजना के तहत कुल 6.4 लाख वाहन आएंगे।
इन गाड़ियों पर पड़ेगी सबसे अधिक मार
- रिपोर्ट के मुताबिक मध्यम और भारी ट्रकों की बिक्री में 85 फीसदी बढ़ोतरी होगी, क्योंकि इनका जीवनकाल 20 साल है।
- मार्च 2005 से पहले के खरीदे हुए ट्रकों पर वी-वीएमपी नियम लागू होगा।
- हालांकि, लघु और मध्यम वाणिज्यिक वाहनों और ट्रैक्टर पर इसका ज्यादा असर नहीं होगा।
क्रिसिल के सीनियर डायरेक्टर प्रसाद कोपरकर के अनुसार स्कीम को अधिक प्रभावी बनाने के लिए सरकार को कबाड़ होने वाले वाहन और नए कमर्शियल गाड़ियो के इंजन क्षमता पर एक सीमा तय करनी चाहिए।
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