नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) की चार सदस्यीय समिति ने जर्मनी की वाहन कंपनी फॉक्सवैगन पर 171.34 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाने की सिफारिश की है। कंपनी पर यह जुर्माना अत्यधिक नाइट्रोजन ऑक्साइड (एनओएक्स) के उत्सर्जन के कारण दिल्ली में वायु प्रदूषण को लेकर स्वास्थ्य को हुए नुकसान को लेकर लगाया गया है।
विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि फॉक्सवैगन की कारों ने राष्ट्रीय राजधानी में 2016 में लगभग 48.68 टन एनओएक्स उत्सर्जन किया। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अतिरिक्त एनओएक्स उत्सर्जन के कारण स्वास्थ्य को नुकसान हुआ और दिल्ली जैसे महानगरों को आधार मानते हुए मूल्य के हिसाब से यह नुकसान करीब 171.34 करोड़ रुपए का है। देश में पर्यावरण पर नाइट्रोजन ऑक्साइड के कुल प्रभाव के आकलन के तरीकों का अभाव होने से इस नुकसान का सटीक आंकड़ा सामने नहीं आ पाया है। इसीलिए केवल स्वास्थ्य नुकसान का आकलन किया गया है।
नाइट्रोजन ऑक्साइड वायु प्रदूषित करता है और यह हृदय और फेंफड़े की बीमारी का कारण है। चार सदस्यीय समिति में एआरएआई (ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया) की निदेशक रश्मि उर्द्धवर्शी, सीएसआईआर-एनईईआरआई के प्रधान वैज्ञानिक डा. नितिन लाभसेतवार, भारी उद्योग मंत्रालय में निदेशक रामाकांत सिंह तथा सीपीसीबी के सदस्य सचिव प्रशांत गरगवा शामिल हैं। एनजीटी ने इस मामले में सुझाव देने के लिए समिति का गठन पिछले साल 16 नवंबर को किया था। समिति को इस बात पर विचार करने की जिम्मेदारी दी गई थी कि क्या विनिर्माता ने निर्धारित पर्यावरण नियमों का अनुपालन नहीं किया। साथ ही इससे पर्यावरण को हुए नुकसान का आकलन करने को कहा गया था।
समिति ने एनजीटी से कहा कि नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन का प्रमुख स्रोत वाहन हैं। नाइट्रोजन ऑक्साइड का सबसे प्रमुख और प्रचलित रूप नाइट्रोजन डाईऑक्साइड है। उसने कहा कि हवा में नाइट्रोजन डाईऑक्साइड की अत्यधिक मात्रा से अस्थमा होने का खतरा है और इससे श्वसन संबंधी बीमारी बढ़ सकती है। जुर्माने का निर्धारण भारत में फॉक्सवैगन की 3.27 लाख कार के आधार पर किया गया है। इन कारों में उत्सर्जन को छिपाने के लिए सॉफ्टवेयर का उपयोग किया गया था।
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