भारत की सड़कों पर जल्द दौड़ेगी ड्राइवरलेस कारें, सरकार करने जा रही है ये काम
सरकार की भारत की सड़कों पर भी जल्द ही ड्राइवरलेस कारें चलाने की योजना है। दरअसल सरकार मोटर व्हीकल ऐक्ट में संशोधन की तैयारी कर रही है।
Ankit Tyagi Feb 25, 2017, 11:13:16 IST
नई दिल्ली। गूगल ने सबसे पहले ड्राइवरलेस कार का विकास शुरू किया था, लेकिन अब टेस्ला मोटर्स, जीएम और फोर्ड भी जोर-शोर से ड्राइवरलेस कारें विकसित करने में जुटी हैं। पर क्या आप जानते हैं कि भारत की सड़कों पर भी जल्द बिना ड्राइवर वाली कारें चलाने की योजना है। दरअसल सरकार मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन की तैयारी कर रही है। माना जा रहा है कि संशोधनों के बाद ड्राइवर के बिना चलने वाली गाड़ियों की टेस्टिंग के लिए परमिट दे दिया जाएगा।
सरकार कर रही है इस पर काम
- सड़क एवं परिवहन मंत्रालय से जुड़े एक अधिकारी ने अंग्रेजी बिजनेस न्यूजपेपर इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि सरकार मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन होने के बाद एक-एक करके ऐसी गाड़ियों की टेस्टिंग की इजाजत देगी।
- इस कदम से ड्राइवरलेस टेक्नोलॉजी पर काम कर रहीं भारतीय कंपनियां भी स्वचलित गाड़ी बनाने की वैश्विक दौड़ में हिस्सा ले पाएंगी।
- टाटा ग्रुप की डिजाइन और तकनीकी शाखा टाटा एलेक्सी भी ड्राइवरलेस कार को टेस्ट करने की तैयारी में है। हालांकि कंपनी ने इस रिपोर्ट पर कमेंट करने से इनकार कर दिया।
बिल संसद की स्थाई समिति को भेजा
- प्रस्तावित संशोधन मोटर व्हीकल (संशोधन) बिल, 2016 का हिस्सा हैं।
- यह बिल ट्रैफिक नियम तोड़ने पर भारी जुर्माने के प्रावधानों के कारण चर्चा में था।
- इस बिल को संसद में अगस्त 2016 में पेश किया गया था।
- जहां से बिल को संसद की स्थाई समिति में भेज दिया गया।
- मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक बिल के पास होने के बाद स्वचलित गाड़ियों के क्षेत्र में नई इनोवेशन्स किए जा सकेंगे।
कई कंपनियां कर रही है बिना ड्राइवर वाली कार पर काम
- वैश्विक रूप से कार बनाने वाली और तकनीकी कंपनियां जैसे टेस्ला मोटर्स, चीन की बाइडू, गूगल, ऊबर, फोर्ड और जनरल मोटर्स ड्राइवरलेस कारों पर काम कर रही हैं, जिन्हें दुनिया भर में टेस्ट किया जा रहा है। गूगल ऊबर पर ड्राइवरलेस तकनीक चुराने का आरोप भी लगा चुका है।
क्या है एक्सपर्ट्स की राय
- विशेषज्ञों के मुताबिक, यात्री कारे सालाना कुल 10 लाख करोड़ मील का सफर तय करती हैं और उनकी औसत रफ्तार 40 किलोमीटर प्रति घंटा होती है।
- उन्होंने यह भी अनुमान लगाया है कि लोग 600 अरब घंटा का वक्त सालाना कार में ही बिता रहे हैं।
- गुड़गांव की रिसर्च कंपनी साइबर मीडिया रिसर्च के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और प्रमुख थॉमस जार्ज ने आईएएनएस को बताया, ड्राइवररहित कारों को विकसित होने में समय लगेगा।
- इसके बाद भी भारत जैसे स्वचालित तकनीक का कम प्रयोग करने वाले भौगोलिक क्षेत्र में इसे आने में लंबा समय लगेगा।
- हालांकि अमेरिका और चीन में अगले 15-20 साल में यह बेहद आम होंगी।
- इंटरनेशनल डेटा कॉरपोरेशन (आई़डीसी) के शोध प्रबंधक (एंटरप्राइज एंड आईपीडीएस) गौरव शर्मा का कहना है, इस तकनीक का प्रयोग तभी बड़े पैमाने पर संभव हो पाएगा, जब साथ-साथ जुड़ी अर्थव्यवस्थाएं फलने-फूलने में कामयाब होगी।