नई दिल्ली। आपको याद होगा कि भारत सरकार के 2030 तक सभी वाहनों के इलेक्ट्रिफिकेशन के लक्ष्य के तहत सरकारी अधिकारियों को इलेक्ट्रिक वाहन उपलब्ध कराने की बात की थी। इसके लिए एनर्जी एफिशिएंशी सर्विस लिमिटेड (EESL) ने टेंडर निकाले थे जिनमें दो कंपनियों टाटा मोटर्स और महिंद्रा को चुना गया था। अब, जब इन दोनों कंपनियों ने इलेक्ट्रिक कार की डिलिवरी शुरू कर दी है तो सरकारी अधिकारी इसे चलाने से इनकार करते नजर आ रहे हैं।
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि एम बार फुल चार्ज किए जाने पर टाटा टिगोर EV और महिंद्रा ई-वेरिटो शहरों में 80-82 किमी भी नहीं चल पाती हैं। वैश्विक मानकों से तुलना की जाए तो कार में लगी बैटरी पर्याप्त क्षमता वाली नहीं है। फिलहाल दोनों ही कारों में ग्लोबल मानक 27-35 kW के मुकाबले 17 kW बैटरी दी गई है। कंपनी ने जो दावा किया है उससे ये कारें कम रेंज लिमिट वाली हैं।
आपको बता दें कि पहले चरण के तहत EESL ने टाटा मोटर्स को 350 यूनिट और महिंद्रा को 150 यूनिट EV बनाने का टेंडर दिया था। दूसरे चरण में कुल 9500 यूनिट इलेक्ट्रिक वाहनों की डिलिवरी करनी थी, उसमें से 40 प्रतिशत महिंद्रा उपलब्ध करा रही है। EESL का कहना है कि 150 से ज़्यादा कारें दिल्ली और आंध्र प्रदेश की सड़कों पर चलाई जा रही हैं।
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