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Hindi News नॉर्थ ईस्ट त्रिपुरा बांग्लादेश की जेलों में 37 साल बिताने के बाद भारत लौटे ‘शाहजहां’, बेटे से पहली बार मिले, जानें पूरी कहानी

बांग्लादेश की जेलों में 37 साल बिताने के बाद भारत लौटे ‘शाहजहां’, बेटे से पहली बार मिले, जानें पूरी कहानी

त्रिपुरा से 37 साल पहले अपने ससुराल बांग्लादेश गए शाहजहां की जिंदगी उस समय एक झटके में पलट गई जब बांग्लादेश में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और उन्हें अलग-अलग आरोपों में जेल में लंबा वक्त बिताना पड़ा।

Shahjahan Bangladesh, Shahjahan Bangladesh Jail, Tripura Bangladesh Jail- India TV Hindi Image Source : PIXABAY REPRESENTATIONAL शाहजहां ने बांग्लादेश की जेलों में 37 साल बिताए।

अगरतला: त्रिपुरा के सिपाहीजाला जिले का रहने वाला एक शख्स बांग्लादेश की जेलों में 37 साल बिताने के बाद अपने घर लौट पाया है। जब वह 37 साल पहले अपने रिश्तेदार से मिलने बांग्लादेश गया था तब उसे रत्तीभर भी अंदाजा नहीं था कि यह यात्रा उसकी जिंदगी का दंश बन जाएगी और वह भारत में अपने परिवार के पास लौटने के लिए तरस जाएगा। 62 साल के शाहजहां बांग्लादेश की जेलों में 37 साल बिताने के बाद अब घर लौटे हैं। वह BSF के कर्मियों की मदद से श्रीमंतपुर ‘लैंड कस्टम्स’ स्टेशन के रास्ते भारत लौटे।

‘मैंने कुल 26 साल हिरासत में बिताए’

अधिकारियों ने बताया कि सोनमुरा उपमंडल के सीमावर्ती रबींद्रनगर गांव के निवासी शाहजहां 1988 में बांग्लादेश के कोमिला में अपने ससुराल गए थे। उनके अनुसार उस दौरान वहां पुलिस ने उनके रिश्तेदार के घर पर छापा मारा और पड़ोसी देश में गैरकानूनी रूप से प्रवेश करने को लेकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। शाहजहां ने बताया, ‘25 साल की उम्र में मुझे कोमिला में एक अदालत ने 11 साल की जेल की सजा सुनाई। सजा पूरी करने के बाद भी मुझे रिहा नहीं किया गया और मैंने हिरासत में 26 और साल बिताए, घर लौटने की इजजात दिए जाने से पहले कुल मिलाकर मैंने 37 साल जेल में बिताए।’

अपने बेटे से पहली बार मिले शाहजहां

शाहजहां के साथ जो अन्याय हुआ वह कुछ महीने पहले मीडिया के जरिए सामने आया। शाहजहां के परिवार का कहना है कि उनकी दुर्दशा पर जारा फाउंडेशन की नजर पड़ी जो विदेशों में फंसे शरणार्थियों की मदद करता है। परिवार ने बताया कि जारा फाउंडेशन के अध्यक्ष मौशाहिद अली ने शाहजहां की रिहाई के लिए तुरंत कदम उठाए और फिर कई कानूनी प्रक्रियाओं के बाद शाहजहां को मंगलवार को श्रीमंतपुर स्टेशन पर BSF कर्मियों को सौंप दिया गया। अब 62 साल की आयु के शाहजहां उस वक्त घर से निकले थे जब वह युवा थे और उनकी पत्नी गर्भवती थी। भारत लौटने पर उनके बेटे ने पहली बार उन्हें अपने सामने देखा है।

‘ऐसा लग रहा है जैसे कि मैं जन्नत में हूं’

शाहजहां ने कहा, ‘मैं शब्दों में अपनी खुशी बयां नहीं कर सकता। मुझे ऐसा लग रहा है जैसे कि मैं जन्नत में हूं। यह मेरे लिए पुनर्जन्म की तरह है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इस जीवन में अपने जन्मस्थान पर लौट सकूंगा। यह जारा फाउंडेशन ही है जो मुझे घर वापस लेकर आया। मैं पूरी जिंदगी इस संगठन का आभारी रहूंगा।’ उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस हिरासत में शुरुआत के 14 दिनों में उन्होंने क्रूर अत्याचार सहा। शाहजहां ने याद किया, ‘बांग्लादेश के कोमिला केंद्रीय कारागार में 11 साल बिताने के बाद, मुझे झूठे आरोपों में दूसरी जेलों में भेज दिया गया तथा मैंने वहां और 26 साल बिताए।’ (भाषा)