43वें अगरतला बुक फेयर में नहीं दिखेंगी बांग्लादेशी लेखकों की किताबें, जानें क्या है वजह
अगरतला पुस्तक मेला आमतौर पर फरवरी या मार्च में आयोजित किया जाता है, लेकिन छात्रों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए इसे जनवरी में आयोजित किया जा रहा है।
त्रिपुरा में 43वें अगरतला पुस्तक मेले का आयोजन अगले महीने होगा। दो से 14 जनवरी, 2025 तक आयोजित होने वाले इस मेले में बांग्लादेश के प्रकाशक या पुस्तक विक्रेता इस आयोजन में भाग नहीं लेंगे। शुक्रवार को एक अधिकारी ने कहा कि त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा दो जनवरी को पश्चिमी त्रिपुरा के बदरघाट मेला मैदान में 12 दिवसीय पुस्तक मेले का उद्घाटन करेंगे। सूचना एवं सांस्कृतिक मामलों के निदेशक (आईसीए) बिंबिसार भट्टाचार्य ने बताया, "पुस्तक मेले में स्टॉल के वितरण के लिए लॉटरी शुक्रवार को होगी। अभी तक किसी भी बांग्लादेशी प्रकाशन गृह या पुस्तक विक्रेता ने पुस्तक मेला स्थल पर स्टॉल लगाने के लिए कोई आवेदन नहीं किया है।"
भट्टाचार्य ने कहा कि स्थानीय प्रकाशन गृहों के अलावा कोलकाता, गुवाहाटी और दिल्ली के प्रकाशक भी इस साल के पुस्तक मेले में भाग लेंगे। त्रिपुरा पब्लिशर्स गिल्ड (टीपीजी) के अध्यक्ष सुब्रत देब ने कहा, "शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद बांग्लादेश में जो स्थिति है, उसे देखते हुए कोई भी प्रकाशन घराना या पुस्तक विक्रेता अगरतला में पुस्तक मेले में शामिल होने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। हम बांग्लादेश के प्रकाशन घरों से संपर्क बनाए हुए हैं, लेकिन वे इस बार पुस्तक मेले में शामिल होने की स्थिति में नहीं हैं। पुस्तक प्रेमियों के रूप में, हम बांग्लादेशी प्रकाशनों के सार को मिस करेंगे।"
इस बार जनवरी में हो रहा मेला
देब ने कहा, "यह कई वर्षों में पहली बार होगा, जब बांग्लादेशी प्रकाशक पुस्तक मेले में भाग नहीं लेंगे।" उन्होंने पुस्तक मेले को इस वर्ष फरवरी-मार्च से आगे बढ़ाकर जनवरी करने के राज्य सरकार के निर्णय की सराहना की। "आमतौर पर अगरतला पुस्तक मेला फरवरी या मार्च में आयोजित किया जाता था, लेकिन इस बार इसे जनवरी के पहले सप्ताह में आयोजित किया गया है। हम बोर्ड परीक्षाओं के कारण फरवरी और मार्च में पुस्तक मेले के आयोजन का विरोध करते हैं। मुझे उम्मीद है कि इस बार पुस्तक मेले के कार्यक्रम में बदलाव के कारण छात्रों को पुस्तक मेले में आने का उचित अवसर मिलेगा।"
वीजा बना समस्या
प्रख्यात लेखिका नंदिता रॉय ने कहा, "यह स्वाभाविक है कि बांग्लादेशी प्रकाशक अपनी आंतरिक समस्याओं के कारण अगरतला पुस्तक मेले में भाग लेने की संभावना नहीं रखते हैं। इसके अलावा, वीजा की समस्या भी है। मैंने सुना है कि वे कोलकाता पुस्तक मेले में भी शामिल नहीं होने जा रहे हैं। हम बांग्लादेशी प्रकाशन गृहों की साहित्यिक कृतियों के साथ-साथ शोध आधारित पुस्तकों को भी मिस करेंगे, जिनकी त्रिपुरा में अच्छी मांग है। पिछले साल, वे पुस्तक मेले में शामिल हुए थे।" (इनपुट- पीटीआई)