असम के करीमगंज जिले में करीब 30 करोड़ रुपये मूल्य की ‘याबा’ गोलियां जब्त की गई हैं और दो तस्करों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी। करीमगंज के पुलिस अधीक्षक पार्थ प्रतिम दास के अनुसार, पुलिस को मादक पदार्थ की खेप को लेकर एक सूचना मिली थी जिसके बाद पुलिस की एक टीम ने बुधवार रात को पड़ोसी राज्य मिजोरम से आ रहे एक वाहन को रोककर उसकी तलाशी ली।
प्रतिम दास ने बताया, ‘‘राताबाड़ी पुलिस थाना क्षेत्र के गंधराजबाड़ी इलाके में मादक पदार्थ विरोधी अभियान चलाया गया। वाहन की गहन तलाशी के बाद, पेट्रोल टंकी के अंदर बनाए गए एक खास चैंबर से ‘याबा’ की एक लाख गोलियां बरामद की गयीं।’’ उन्होंने बताया कि मादक पदार्थ की कीमत 30 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
दो तस्कर गिरफ्तार
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि मिजोरम के चंफाई से खेप ले जा रहे दो लोगों को गिरफ्तार किया गया और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है। ‘याबा’ मेथामफेटामाइन (एक तरह का मादक द्रव्य) और कैफीन के मिश्रण से बनायी जाती है।
क्या है याबा?
याबा एक गुलाबी रंग की मेथेम्फेटामाइन-कैफीन गोली है। यह बांग्लादेश में भारी मात्रा में बनाई जाती है। भारत में पूर्वोत्तर क्षेत्र के रास्ते इसकी तस्करी की जाती है। इसे थाई भाषा में 'पागलपन की दवा' भी कहा जाता है। इसकी उत्पत्ति पूर्वी म्यांमार के शान, काचिन और दो अन्य राज्यों में हुई। यहां से यह लाओस-थाईलैंड-म्यांमार गोल्डन त्रिकोण के जरिए दक्षिण-पूर्व बांग्लादेश पहुंचती है। याबा के कवर पर WY अक्षर लिखे होते हैं। यह थाईलैंड में सबसे खराब श्रेणी की दवा होती है और जो लोग इसका इस्तेमाल करते हैं, उन्हें 20 साल तक का कारावास या उन्हें भारी जुर्माना देना पड़ता है। जो लोग 20 ग्राम से अधिक याबा के साथ पकड़े जाते हैं, उन्हें आजीवन कारावास/मौत की सजा दी जाती है। शान राज्य में यह दवा घोड़ों को पहाड़ी क्षेत्रों की चढ़ाई अथवा भारी कामों के दौरान दी जाती थी। (पीटीआई भाषा)
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