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Hindi News नॉर्थ ईस्ट असम इस राज्य की 37.2 लाख महिलाओं को हर महीने मिलेंगे 1250 रुपये, सरकार ने रखी सिर्फ ये शर्त

इस राज्य की 37.2 लाख महिलाओं को हर महीने मिलेंगे 1250 रुपये, सरकार ने रखी सिर्फ ये शर्त

असम सरकार ने गुरुवार को अपनी प्रमुख गरीबी उन्मूलन योजना, 'ओरुनोडोई 3.0' के तीसरे संस्करण का अनावरण किया। इस योजना से 37.2 लाख लाभार्थियों को फायदा होगा।

महिलाओं को संबोधित करते सीएम सरमा- India TV Hindi Image Source : @HIMANTABISWA महिलाओं को संबोधित करते सीएम हिमंत बिस्वा सरमा

वाहाटीः मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गुवाहाटी में एक कार्यक्रम के दौरान नए लाभार्थियों को ओरुनोडोई कार्ड के वितरण का शुभारंभ किया। इस योजना से 37.2 लाख लाभार्थियों को फायदा होगा। सरकार कम आय वाले परिवारों की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए बनाई गई यह योजना प्रत्येक महीने की 10 तारीख को सीधे उनके बैंक खातों में 1,250 जमा करेगी।

हर महीने खर्च होंगे 467 करोड़ रुपये 

इस अवसर पर बोलते हुए हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि लगभग 10 लाख लोगों ने फॉर्म भरे, जिससे सरकार को असम के 126 विधानसभा क्षेत्रों में से प्रत्येक से लगभग 10,000 नए लाभार्थियों को शामिल करना पड़ा। 'ओरुनोडोई 3.0' को लागू करने के लिए, सरकार को 467 करोड़ रुपये के मासिक खर्च का अनुमान है। जो सालाना कुल 5,604 करोड़ होगा। सरमा ने कहा असम में इस तरह की योजना कभी लागू नहीं की गई। 

महिलाओं को पूरी करनी होगी ये शर्त

सीएम ने हिमंता ने कहा कि मौजूदा लाभार्थियों को लाभ प्राप्त करना जारी रखने के लिए फिर से आवेदन करना होगा। पात्रता मानदंड में प्रति वर्ष 4 लाख से कम पारिवारिक आय, कोई सरकारी रोजगार नहीं होना और राशन कार्ड का होना शामिल है। आवेदकों को वैध आधार-सीडेड राशन कार्ड के साथ असम का स्थायी निवासी होना चाहिए। सरमा ने कहा कि लगभग 20 लाख नए राशन कार्ड जारी किए गए हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो गया है कि राज्य में लगभग 2.6 करोड़ निवासियों के पास अब राशन कार्ड तक पहुंच है।  

दिसंबर 2020 को पहली बार लॉन्च हुई थी योजना

बता दें कि यह योजना पहली बार एक दिसंबर, 2020 को लॉन्च किया गया था। 14 दिसंबर, 2022 को इसके दूसरे संस्करण में विस्तारित किया गया। सरमा ने दावा किया कि इस योजना की अन्य राज्यों से तारीफ की है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और महाराष्ट्र ने भी इसी तरह की योजना लागू की गई है।

इनपुट- पीटीआई