आइजोल: मिजोरम के ग्रामीणों ने केंद्र द्वारा प्रस्तावित भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने का कड़ा विरोध किया है। म्यांमार के करीब दक्षिणी मिजोरम के लांग्टलाई और सियाहा जिलों में रहने वाले लोगों ने राज्य के एकमात्र राज्यसभा सांसद के वनलालवेना (K Vanlalvena) को यह स्पष्ट कर दिया कि वे ऐसा कभी नहीं होने देंगे। सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले लोग वहां से वन उपज इकट्ठा करने के अलावा, दो सीमावर्ती नदियों, तियाउ और छिमतुईपुई के तटों पर धान और शीतकालीन फसलों की खेती करते रहे हैं।
ग्रामीणों ने जताई ये आपत्ति
स्थानीय निवासियों ने वनलालवेना को बताया, बाड़ लगाने से जमीन का एक बड़ा हिस्सा छूट जाएगा। इससे सीमा के पास रहने वाले ग्रामीण अपनी आजीविका के एकमात्र स्रोत से वंचित हो जाएंगे। इसलिए वे बॉर्डर पर लगाने की अनुमति नहीं देंगे।
सीएम लालदुहोमा ने केंद्र के सामने उठाया मुद्दा
इस बीच राज्य के सबसे प्रभावशाली छात्र संगठन मिज़ो ज़िरलाई पावल (एमजेडपी) के नेताओं ने सीएम लालदुहोमा को भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने और इसे हटाने पर अपनी आपत्ति के बारे में सूचित किया। लालडुहोमा ने कहा कि उन्होंने पहले ही पीएम और केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात के दौरान इस मुद्दे को उठाया था। मिजोरम के शीर्ष छात्र संगठन मिजो जिरलाई पावल (एमजेडपी) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने और मुक्त आवाजाही व्यवस्था (एफएमआर) को खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है।
म्यांमार के साथ 1643 किमी लंबी सीमा
बता दें कि पूर्वोत्तर के चार राज्य - अरुणाचल, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम म्यांमार के साथ 1,643 किमी लंबी सीमा साझा करते हैं। इतनी लंबी सीमा पर केंद्र सरकार बाड़ लगाने की योजना बना रही है।