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मिजोरम में शरण लेने वाले मणिपुर के लोग नहीं कर पाएंगे मतदान? जानिए क्या कहते हैं अधिकारी

मिजोरम गृह विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पड़ोसी मणिपुर के कुल मिलाकर 9,196 वयस्कों और बच्चों ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में शरण ली है।

सांकेतिक तस्वीर- India TV Hindi Image Source : FILE- ANI सांकेतिक तस्वीर

आइजोल: अपने गृह राज्य में जातीय हिंसा के बाद मिजोरम में शरण लेने वाले मणिपुर के कुकी-जो समुदाय के हजारों लोग लोकसभा चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल संभवत: नहीं कर पाएंगे। निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि मणिपुर के आंतरिक रूप से विस्थापित इन लोगों (आईडीपी) के लिए मतदान की अब तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है। 

 19 अप्रैल को मतदान होगा

एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘‘देश के विभिन्न हिस्सों में विस्थापित मणिपुरी लोगों को आगामी चुनावों में अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने में सक्षम बनाने के लिए निर्वाचन आयोग के अधिकारी बातचीत कर रहे हैं लेकिन उनके लिए विशेष व्यवस्था करने की अब तक कोई योजना नहीं है। मणिपुर की दो लोकसभा सीटों पर 19 अप्रैल को मतदान होगा। 

मणिपुर के 9,196 लोग मिजोरम में शरण लिए हैं

आंकड़ों के मुताबिक, मिजोरम में रहने वाले मणिपुर के 9,196 लोगों में से 1,340 लोग 26 राहत शिविरों में हैं, जबकि 7,856 लोग राहत शिविरों के बाहर हैं। इसमें कहा गया है कि आइजोल जिले में सबसे अधिक 4,446 मणिपुरी विस्थापित हैं, इसके बाद कोलासिब जिले में 2,674 और सैतुअल जिले में 1,275 लोग हैं। मिजोरम में शरण लेने वाले मणिपुरी ज्यादातर अल्पसंख्यक कुकी-ज़ो समुदाय से हैं।

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कही थी ये बात

बता दें कि मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने हाल ही में कहा था कि चुनाव आयोग ने मणिपुर में विस्थापित लोगों को उन शिविरों से वोट डालने की अनुमति देने के लिए एक योजना तैयार की है जहां वे रह रहे हैं। मणिपुर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) प्रदीप कुमार झा ने संवाददाताओं से कहा था कि यह योजना राज्य के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र तक ही सीमित है। मणिपुर के चुराचांदपुर जिले के एक आदिवासी संगठन के अनुसार, कुकी-ज़ो लोग मिज़ोरम के अलावा दिल्ली और देश भर के अन्य शहरों में भी रह रहे हैं।

इनपुट- भाषा