म्यांमार में सेना और एंटी जनता रिजीम फोर्स के बीच संघर्ष के कारण लोग घर छोड़ने के लिए मजबूर हैं। ऐसे में बड़ी संख्या में शरणार्थी में भारत के मिजोरम आ रहे हैं। ताजा घटना में 1000 से ज्यादा म्यांमार के रेफ्यूजी मिजोरम आए। मिजोरम के गृह विभाग के अनुसार राज्य में म्यांमार से आने वाले शरणार्थियों की कुल संख्या 36500 से ज्यादा हो चुकी है।
गृह विभाग के अनुसार रविवार के दिन कम से कम 600 रेफ्यूजी म्यांमार से भारत आए। इनमें से अधिकतर चिन राज्य से थे। ये सभी पूर्वी मिजोरम के चंपाई जिले के वईकवटलांग जिले में आकर बसे हैं। वहीं, इसी जिले के खुंगपाह गांव में लगभग 190 शरणार्थी आकर बसे हैं। बुधवार को म्यांमार के खवमावी गांव से 300 से ज्यादा शरणार्थी चंपई जिले के जोख्वात्हर गांव में आकर बसे हैं। म्यांमार वायुसेना के हवाई हमले के डर से भारत आने वाले शरणार्थियों के कुछ दिन में वापस लौटने के आसार हैं।
मई में 2000 से ज्यादा शरणार्थी आए
खावमावी और जोख्वात्हर गांव आस-पास बसे हैं। दोनों को तियाऊ नदी अलग करती है। यही नदी दोनों देशों के बीच बॉर्डर का भी काम करती है। अधिकारियों के अनुसार पांच मई से 2000 से ज्यादा म्यांमार रेफ्यूजियों ने मिजोरम में शरण ली है। म्यांमार के 36500 से ज्यादा रेफ्यूजी मिजोरम के सभी 11 जिलों में शरण लिए हुए हैं। इन शरणार्थियों के लिए सात जिलों में 119 रिलीफ कैंप बनाए गए हैं। हालांकि, अधिकतर लोग किराये के घर में रहते हैं या अपने रिश्तेदारों के यहां रुके हुए हैं।
म्यांमार से 510 किमी लंबा बॉर्डर साझा करता है भारत
यहां शरण लेने वाले रेफ्यूजियों में अधिकतर चिन समुदाय के हैं, जिनके संबंध मिजो समुदाय के साथ है। भारत की 510 किलोमीटर लंबी सीमा म्यांमार के चिन राज्य के साथ लगती है। मिजोरम के छह जिल बॉर्डर के किनारे बसे हुए हैं।