पति की जमानत कराने के लिए 3 महीने की बेटी को बेचा, महिला को पुलिस ने पकड़ा, कई और बच्चे रेस्क्यू
एक महिला ने अपनी तीन महीने की बेटी को एक लाख रुपये में बेच दिया। जिस महिला ने अपनी बेटी को बेचा उसके खिलाफ उसकी सास ने पुलिस शिकायत दर्ज कराई थी।
मुंबई पुलिस ने चाइल्ड ट्रैफिकिंग के आरोप में कुल 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस को यह जानकारी मिली थी कि एक महिला ने अपनी तीन महीने की बेटी को एक लाख रुपये में बेच दिया। महिला ने अपने पति की बेल के लिए यह कदम उठाया। जिस महिला ने अपनी बेटी को बेचा उसके खिलाफ उसकी सास ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने मामले में कार्रवाई करते हुए मनीषा यादव नाम की महिला को गिरफ्तार किया।
पुलिस ने मामले में कुछ अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया है, जिनकी पहचान सुलोचना सुरेश साबले, मीरा राजाराम यादव, योगेश सुरेश भोईर, रोशनी सोंटू घोष, संध्या अर्जुन राजपूत, मदीना उर्फ मुन्नी इमाम चव्हाण, तैनाज शाहीन चौहान और मोइनुद्दीन तंबोली के रूप में की गई है।
मायके वालों की मदद से योजना बनाई
पुलिस के अनुसार, महिला के पति को रेलवे पुलिस ने चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया था। अपने पति की बेल के लिए पैसे इकट्ठा करने की बात कहते हुए महिला ने अपने मायके के कुछ लोगों की मदद से यह योजना बनाई कि वह अपनी बच्ची को बेच दे। महिला ने इस योजना को अपने रिश्तेदारों के साथ शेयर किया, जिसमें संध्या और रोशनी ने योगेश नाम के व्यक्ति के साथ मिलकर बिचौलियों से संपर्क किया। फिर ये लोग मुन्नी से मिलने बड़ौदा गए और बातचीत हुई।
इसके बाद इस मामले का मुख्य किरदार सामने आया, जिसका नाम अब्दुल करीम नादफ (52 वर्ष) है। नादफ एक गिरोह का हिस्सा था, जो उन लोगों से जुड़ा था जो बच्चे चाहते थे लेकिन उनके पास बच्चा नहीं था। मुन्नी और नादफ की पत्नी एक दूसरे को जनती थीं। नादफ और उसकी पत्नी बेबी तांबोली इस अवैध धंधे में बिचौलियों के रूप में काम करते थे।
पुलिस ने बताया कि इस गिरोह ने मुंबई के दादर इलाके से बच्ची को कर्नाटक के प्रशांत और संध्या नाम के एक दंपत्ति को बेच दिया था। इस जोड़े को 6 साल से बच्चा नहीं हो रहा था और वे इस मामले में मदद के लिए एक नर्स से संपर्क में आए थे। पुलिस ने इस नर्स से भी पूछताछ शुरू कर दी है।
पुलिस ने पांच बच्चों को किया रेस्क्यू
पुलिस ने इस मामले में अब तक पांच बच्चों को बचाया है, जिनमें तीन लड़कियां और दो लड़के शामिल हैं। इन बच्चों को विभिन्न स्थानों जैसे पुणे, औरंगाबाद और गुजरात के इलाकों में 2 से 3 लाख रुपये में बेचा गया था। पुलिस ने इस गिरोह के अन्य सदस्यों और बच्चों को बेचने के लिए काम करने वाले एजेंटों के बारे में भी जांच शुरू कर दी है।
इस पूरे मामले में पुलिस को महत्वपूर्ण जानकारी मिली, जब मनीषा यादव की सास ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसकी बहू और उसकी मां ने मिलकर उसकी तीन महीने की पोती को किसी को बेच दिया है। इस शिकायत के बाद पुलिस ने जांच शुरू की और मामले का खुलासा हुआ। पुलिस ने अब्दुल करीम नादफ और अन्य आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की है और इस गिरोह के और भी बच्चों को बेचने के कृत्य का पर्दाफाश करने के लिए जांच जारी है।
इंडिया टीवी से बात करते हुए इस मामले के जांच अधिकारी ने बताया कि इस गिरोह के तार कई स्थानों से जुड़े हुए हैं और पुलिस अब उन एजेंटों की तलाश कर रही है जो बच्चों को खरीदने और बेचने का काम करते हैं।
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