MVA की हार के बाद उद्धव ठाकरे के लिए अब क्या हैं चुनौतियां?
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों ने महा विकास अघाड़ी को चारों खाने चित कर दिया है। इन सबके बीच, बीजेपी के लंबे वक्त तक साथी रहे उद्धव ठाकरे के लिए एक नया संकट खड़ा हो गया है।
महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव नतीजे काफी चकित करने वाले रहे हैं। प्रदेश में बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को मिली प्रचंड जीत ने विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (MVA) में शामिल पार्टियों को चारों खाने चित कर दिया है। इन सबके बीच, बीजेपी के लंबे वक्त तक साथी रहे उद्धव ठाकरे के लिए एक नया संकट आ खड़ा हुआ है। शिवसेना-यूबीटी ने इस चुनाव में 95 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन सिर्फ 20 सीटें ही जीत सकी। यह नतीजे उनके लिए एक तगड़ा झटका देने वाला है।
उद्धव ठाकरे की बढ़ीं मुश्किलें
दरअसल, मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए बीजेपी के नेतृत्व वाले NDA से नाता तोड़ने के बाद उद्धव ठाकरे ना लंबे समय तक सीएम पद पर बने रह सके और ना ही अपनी पार्टी को पूरी तरह से बचा पाए। विधानसभा चुनाव में एकनाथ शिंदे द्वारा की गई बगावत ने शिवसेना को तोड़ डाला, जिससे पार्टी का मूल ढांचा कमजोर हो गया। शरद पवार की तरह ही उद्धव ठाकरे को भी अपनी मूल पार्टी से हाथ धोना पड़ा।
प्रदर्शन पर क्या बोले ठाकरे?
हालांकि, लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन की सफलता के बाद उद्धव ठाकरे आत्मविश्वास से भरे थे, लेकिन विधानसभा चुनाव में यह आत्मविश्वास निराशा में बदल गया। महा विकास अघाड़ी और अपनी पार्टी के इस निराशाजनक प्रदर्शन को लेकर उद्धव ठाकरे ने कहा, "मैं नहीं समझ पा रहा हूं कि जिन मतदाताओं ने केवल पांच महीने पहले लोकसभा चुनावों में सत्तारूढ़ बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन को हराया था, उनका मन अचानक कैसे बदल गया।"
पार्टी के अस्तित्व पर संकट
ऐसे में अब उद्धव ठाकरे के लिए किंगमेकर की भूमिका भी संभव नहीं दिख रही। उन्हें अपने गुट को फिर से मजबूत करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ेगी, क्योंकि शिवसेना का जो अस्तित्व बालासाहब ठाकरे के संघर्ष के बाद खड़ा हुआ था, वह अब संकट में है। उद्धव ठाकरे को पार्टी को नए सिरे से खड़ा करने की दिशा में काम करना होगा, जो उनके लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगी।
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