Voter ID-Aadhaar Link: भारतीय निर्वाचन आयोग पूरे महाराष्ट्र में मतदाता पहचान पत्र यानी वोटर आईडी को आधार कार्ड से लिंक करने का अभियान शुरू करने जा रहा है। महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव अधिकारी श्रीकांत देशपांडे ने बताया कि मतदाताओं की पहचान स्थापित करने और वोटर लिस्ट में मतदाताओं के ऑथेंटीकेशन और एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में या एक ही निर्वाचन क्षेत्र में एक से अधिक बार एक ही व्यक्ति के नाम के पंजीकरण की पहचान करने के लिए अब मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि पूरे महाराष्ट्र में वोटर आईडी को आधार कार्ड से लिंक करने का अभियान 1 अगस्त से शुरू हो रहा है।
कांग्रेस ने आदालत में दी चुनौती, SC ने भेजा हाईकोर्ट
गौरतलब है कि वोटर आईडी को आधार कार्ड से लिंक करने के फैसले को कांग्रेस ने कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने वोटर लिस्ट को आधार से जोड़ने के प्रावधान संबंधी चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम को चुनौती देने वाले कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला से सोमवार को हाईकोर्ट का रुख करने को कहा।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने सुरजेवाला के वकील से पूछा- आपने पहले हाईकोर्ट का रुख क्यों नहीं किया? पीठ ने कहा, ‘‘आप दिल्ली हाईकोर्ट का रुख क्यों नहीं करते? आपके पास समान समाधान होगा। आप चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम 2021 की धारा 4 और 5 को चुनौती दे रहे हैं। आप यहां क्यों आए हैं? आप दिल्ली उच्च न्यायालय जा सकते हैं।’’
कांग्रेस ने कोर्ट में क्या दलील दी
कांग्रेस नेता की तरफ से पेश वकील ने कहा कि अगले छह महीनों में तीन अलग-अलग राज्यों में चुनाव होंगे। पीठ ने कहा, ‘‘कानून में उपलब्ध उपचार के मद्देनजर हम याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट के समक्ष (संविधान के) अनुच्छेद 226 के तहत याचिका दायर करने की स्वतंत्रता देते हैं।’’ शीर्ष अदालत चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 की धारा 4 और 5 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली सुरजेवाला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याचिका में कहा गया कि संशोधन का मकसद ‘‘दो पूरी तरह से अलग दस्तावेजों (उनके डेटा के साथ) यानी निवास (स्थायी या अस्थायी) के प्रमाण-आधार कार्ड और नागरिकता के प्रमाण-मतदाता पहचान पत्र को जोड़ना है। इसलिए, यह पूरी तरह से साफ है कि आधार और मतदाता पहचान पत्र को जोड़ना पूरी तरह से तर्कहीन है।’’ याचिका में चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 की धाराएं 4 और 5 को नागरिकों की निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन बताते हुए इसे असंवैधानिक और संविधान के विपरीत घोषित करने का अनुरोध किया गया।