Uddhav Thackeray: महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनने के बाद एक दिन बाद शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा कि अगर गृह मंत्री अमित शाह(Amit Shah) ने 2019 में उनसे किया गया वादा पूरा किया होता तो अब महाराष्ट्र में भाजपा का मुख्यमंत्री होता। उन्होंने ‘‘तथाकथित शिवसैनिक’’ को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाए जाने संबंधी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के फैसले पर सवाल उठाए और आश्चर्य जताया कि भाजपा ने 2019 में शिवसेना को मुख्यमंत्री पद देने से इनकार क्यों किया।
'शाह मेरी बात मान जाते तो, MVA का जन्म ही नहीं होता'
ठाकरे ने शिवसेना भवन में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि ये जो कल हुआ, मैं पहले ही अमित शाह से कह रहा था कि 2.5 साल शिवसेना का मुख्यमंत्री हो और वही हुआ। पहले ही अगर ऐसा करते तो महा विकास अघाडी (MVA) का जन्म ही नहीं होता।
ठाकरे ने भाजपा से यह भी कहा कि वह मुंबई को इस तरह धोखा न दे, जैसे कि उसने उन्हें ‘‘धोखा’’ दिया था। उन्होंने कहा कि वह महाराष्ट्र की नई सरकार द्वारा मेट्रो कार शेड को मुंबई के कांजुरमार्ग से आरे कॉलोनी में ले जाने संबंधी कदम से दुखी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं बताना चाहता हूं कि मेट्रो कार शेड परियोजना आरे में नहीं बल्कि कांजुरमार्ग में है। कांजुरमार्ग कोई निजी भूखंड नहीं है। मैं पर्यावरणविदों के साथ हूं और आरे को आरक्षित वन क्षेत्र घोषित कर दिया गया था। उस जंगल में वन्यजीव मौजूद हैं।’’ ठाकरे ने अपनी पार्टी में बगावत को लोकतंत्र का मजाक और लोगों के वोट की बर्बादी बताया।
सियासी घमासान के बाद उद्धव ने दिया था इस्तीफा
बता दें कि महाराष्ट्र में लंबे राजनीतिक गतिरोध के बाद उद्धव ठाकरे को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद शिवसेना के ही एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। एकनाथ शिंदे ने करीब 40 शिवसेना विधायकों के साथ उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह कर दिया था, जिसके बाद उद्धव ठाकरे की सरकार कमजोर पड़ गई। उद्धव ठाकरे एनसीपी और कांग्रेस की मदद से महाराष्ट्र में महाविकास आघाडी सरकार चला रहे थे, लेकिन अब राज्य में शिवसेना और बीजेपी ने सरकार बनाई है, जिसमें एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने हैं, तो महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है।
ठाकरे के सामने अब ये हैं चुनौतियां-
महाराष्ट्र में शिवसेना में बगावत से न केवल 31 महीने पुरानी महा विकास आघाड़ी (MVA) सरकार गिर गई और उद्धव ठाकरे को सत्ता छोड़नी पड़ गई, बल्कि शिवसेना पर उनके प्रभाव और उनके नेतृत्व वाले राजनीतिक दल के अस्तित्व को लेकर भी सवाल खड़े हो गए हैं। शिवसेना पर आरोप लग रहे हैं कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस से गठबंधन करके उसने अपनी कट्टर हिंदुत्व की विचारधारा को छोड़ दिया था।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार अब ठाकरे के सामने कई चुनौतियां हैं। इनमें पार्टी पर नियंत्रण कायम रखने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ना और बाल ठाकरे की राजनीतिक विरासत को बचाना, पार्टी में नई जान फूंकना और कार्यकर्ताओं में विश्वास पैदा करना आदि हैं। जानकारों के अनुसार, ‘‘शिवसेना की विचारधारा कमजोर पड़ गई है और ठाकरे को उनकी कट्टर हिंदुत्व की पहचान फिर से पाने में मुश्किलें आएंगी। अगर वह अभी इस ओर ध्यान नहीं देते तो एकनाथ शिंदे के ये आरोप सच साबित हो जाएंगे कि ठाकरे ने हिंदुत्व के रास्ते को छोड़ दिया है।’’