Uddhav Thackeray Vs Eknath Shinde: शिवसेना से एकनाथ शिंदे गुट की बगावत के बाद महाराष्ट्र की सियासत में पिछले दिनों आया हुआ उबाल पूरी तरह शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा है। एकनाथ शिंदे ने पहले शिवसेना से बगावत की, फिर बीजेपी के सहारे मुख्यमंत्री भी बने, लेकिन दोनों गुटों में आपसी बयानबाजी अभी भी जारी है। उद्धव ने कुछ ही घंटों पहले शिवसेना के शिंदे गुट पर निशाना साधा था, जिसपर प्रतिक्रिया भी सामने आ गई है। शिंदे गुट के प्रवक्ता दीपक केसरकर ने उद्धव के बयान के जवाब में कहा कि आज उनका जन्मदिन है, इसलिए जवाब कल देंगे।
‘इन पुराने पत्तों की छांव में ही वह मुख्यमंत्री बने थे’
ऐसा भी नहीं है कि केसरकर ने उद्धव के आरोपों पर कुछ कहा ही नहीं। उन्होंने उद्धव के आरोपों पर नपे-तुले शब्दों में प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘आज उद्धव ठाकरे का जन्मदिन है। हमारे तमाम विधायकों की तरफ से उन्हें जन्मदिन की बधाई। उद्धव ठाकरे हमें पुराने पत्ते बोल रहे हैं। पुराने पत्तों की छांव में ही तो वह मुख्यमंत्री बने हैं। आज उनका जन्मदिन है। उनके आरोपों पर हम कल जवाब देंगे।’
आदित्य के बयान पर भी आया शिंदे गुट का जवाब
आदित्य ठाकरे के बयान पर पलटवार करते हुए केसरकर ने कहा, ‘अदित्य ठाकरे ने हमें कहा कि हिम्मत है तो इस्तीफा दो, चुनाव लड़ो। जब 2019 में हम चुनाव लड़े तो बीजेपी के साथ थे। शिवसेना-बीजेपी के नाम पर लोगों ने वोट दिया। आपने जब कांग्रेस, NCP के साथ सरकार बनाई तब जनता के फैसले का क्यों अपमान किया? तब क्यों आप चुनाव में नहीं गए जब बीजेपी को छोड़ कांग्रेस और एनसीपी के हाथ थामा?’
‘हमने उद्धव के लिए पार्टी प्रमुख की पोस्ट खाली रखी है’
केसरकर ने अपने बयान में आगे कहा, ‘उद्धव ठाकरे ने कोरोना में अच्छा काम किया तो उसमे एकनाथ शिंदे का भी योगदान है। एकनाथ शिंदे ने कोरोना में जमीन पर उतरकर बहुत काम किया है। एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे को जन्मदिन की बधाई देते हुए शिवसेना पार्टी प्रमुख की जगह पूर्व मुख्यमंत्री कहकर बधाई दी। इसे गलत न लें। पूर्व मुख्यमंत्री का मतलब वह पूरे राज्य के हैं, सिर्फ एक पार्टी के नहीं। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में हमने उद्धव ठाकरे के लिए पार्टी प्रमुख की पोस्ट खाली रखी है।’
‘महा विकास आघाड़ी सरकार में भी तो नेता दिल्ली जाते थे’
मंत्रिमंडल विस्तार पर केसरकर ने कहा, ‘मंत्रिमंडल विस्तार मुख्यमंत्री का अधिकार है। मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री काम कर रहे हैं। सही समय पर वह विस्तार करेंगे। हम विधायकों ने कभी मंत्री बनने या मंत्रिमंडल के विस्तार के लिए दबाव नहीं बनाया। मुख्यमंत्री का बार-बार दिल्ली जाने का मतलब नहीं कि दिल्ली के सामने घुटने टेकने जाते हैं। महाविकास आघाड़ी सरकार में भी तो नेता दिल्ली जाते थे।’ उन्होंने कहा कि औरंगाबाद का नाम छत्रपति संभाजीनगर राजनीति और धर्म के लिए नहीं रखा।