‘मोदी लाल किले से ऐलान कर दें कि...’, शिवसेना का नाम-निशान खोने के बाद उद्धव ने कही ये बात
चुनाव आयोग पर बरसते हुए उद्धव ने कहा कि मुझे लगता है कि जैसे जज चुनने की प्रक्रिया है, वैसे ही चुनाव आयुक्त की भी नियुक्ति होनी चाहिए।
मुंबई: महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शिवसेना का नाम और चुनाव निशान एकनाथ शिंदे गुट को दिए जाने के चुनाव आयोग के फैसले को लोकतंत्र के लिए घातक बताया है। उद्धव ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें देश में तानाशाही का ऐलान कर देना चाहिए। उद्धव ने कहा, ‘आज चुनाव आयोग ने जो फैसला दिया है, वह लोकतंत्र के लिए घातक है। अब लाल किले से प्रधानमंत्री को घोषणा कर देना चाहिए कि लोकतंत्र खत्म हो गया है।’
‘असली धनुष बाण मेरे पास है’
उद्धव ने आगे कहा, ‘बीच में मैंने कहा था कि जब तक मामला सुप्रीम कोर्ट में है तब तक चुनाव आयोग ने फैसला न सुनाए, क्योंकि ऐसे में जिसके पास पैसा होगा वह सरकार बना लेगा। मुझे लगता है कि जैसे जज चुनने की प्रक्रिया है, वैसे ही चुनाव आयुक्त की भी नियुक्ति होनी चाहिए। हिम्मत है तो मनपा से लेकर लोकसभा तक का चुनाव करा लें। आज के दिन उन्होंने धनुष बाण चुराया है, लेकिन असली धनुष बाण मेरे पास है। लोगों को लगता है कि शिवसेना खत्म हो जाएगी लेकिन ऐसा नहीं होगा।’
‘शिवसैनिकों, अपना मनोबल मत गिराओ’
उद्धव ने अपने हाथ मे धनुष बाण दिखाते हुए कहा कि बालासाहेब इसकी पूजा करते थे। उन्होंने कहा, ‘अब भी इस धनुष बाण की पूजा होती रहेगी। हम इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे। इसके पहले ही लघु उद्योग मंत्री ने कहा था कि धनुष बाण उन्हें ही मिलेगा। इसका मतलब क्या है? शिवसैनिकों, अपना मनोबल मत गिराओ। मैदान में उतरे हैं और लड़ेंगे। मुझे नहीं लगता कि आज के फैसले का कोई असर सुप्रीम कोर्ट पर होगा। न्याय व्यवस्था स्वतंत्र है।’
‘मोदी का चेहरा महाराष्ट्र में नहीं चलता’
शिवसेना प्रमुख ने कहा, ‘चुनाव आयोग ने जो किया है, वह भयानक है। उन्होंने शपथ मांगा, हमने दिया। जब यही करना था तो फिर उस सबकी जरूरत क्या थी? मोदी का चेहरा महाराष्ट्र में नहीं चलता, बाला साहेब का मुखौटा उन्हें भी लगाना पड़ रहा है। नेता भले चले गए, लेकिन उनको नेता बनाने वाले मेरे पास हैं। बीजेपी कहती है कि हमने हिंदुत्व छोड़ दिया। मोहन भागवत मस्जिद गए तो क्या उन्होंने हिंदुत्व छोड़ दिया। सुप्रीम कोर्ट ही अब आखिरी उम्मीद है।’
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