मुंबई: लंबी सियासी जंग और उठापटक के बाद उद्धव ठाकरे को मिली मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अब खतरा मंडराने लगा है। दरअसल, उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा था और वह मौजूदा वक्त में विधान परिषद के सदस्य भी नहीं हैं जबकि मुख्यमंत्री के पद पर बने रहने के लिए इन दोनों सदनों में से किसी भी एक सदन का सदस्य होना जरूरी है।
उद्धव ठाकरे राज्य में होने वाले विधान परिषद के चुनाव के भरोसे थे, जिन्हें कोरोना वायरस की वजह से देश में लागू लॉकडाउन के कारण चुनाव आयोग ने टाल दिया है। यहां विधान परिषद की 9 सीटों पर चुनाव होने हैं। अब ठाकरे के सामने ये चुनौती है कि उन्हें 27 मई तक विधानसभा या विधान परिषद, दोनों में से किसी भी सदन का सदस्य चाना जाना जरूरी है।
राज्य में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन की सरकार है, जिसके मुख्यमंत्री शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरें हैं। इसीलिए, ऐसी स्थिति में तीनों पार्टियों के नेता कई बार राज्यपाल से मिलकर अपील कर चुके हैं कि जिन दो सदस्यों को राज्यपाल मनोनीत कर सकते हैं वह उनमें उद्धव ठाकरे को शामिल करें। लेकिन, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ऐसा करने को राजी नहीं हुए।
इस बीच उनपर नेताओं ने केंद्र सरकार का पक्ष लेने का आरोप भी लगाया। ऐसे में अब उन्होंने गेंद चुनाव आयोग के पाले में डाल दी है। राज्यपाल कोश्यारी ने चुनाव आयोग को खत लिखकर राज्य की 9 विधान परिषद की सीटों पर चुनाव कराने की अपील की है।
राज्यपाल कोश्यारी ने पत्र में लिखा कि राज्य में 24 अप्रैल से 9 विधानपरिषद की सीटें खाली हैं, उनपर जल्द ही चुनाव कराएं। उन्होंने लिखा कि केंद्र सरकार ने देश में लॉकडाउन के बारे में कई छूट उपायों की घोषणा की है। ऐसे में परिषद सीटों के लिए चुनाव कुछ दिशानिर्देशों के साथ हो सकते हैं।
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