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Hindi News महाराष्ट्र Exclusive: 'बीजेपी और हममें वैचारिक अंतर है इसीलिए नहीं हो सकते साथ', इंडिया टीवी से बोले शरद पावर

Exclusive: 'बीजेपी और हममें वैचारिक अंतर है इसीलिए नहीं हो सकते साथ', इंडिया टीवी से बोले शरद पावर

शरद पवार ने महाराष्ट्र की राजनीति को लेकर इंडिया टीवी से खास बातचीत की है। पवार ने इसके अलावा अजित पवार को लेकर अपने मन की बात कही।

शरद पवार- India TV Hindi Image Source : PTI शरद पवार

आज लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण का चुनाव हो रहा है। इसी को लेकर महाराष्ट्र के भी 13 सीटों पर चुना हो रहे हैं। वोटिंग सुबह से जारी है, जो देर शाम 6 बजे तक चलनी है। महाराष्ट्र की राजनीति को लेकर आज एनसीपी (शरद पवार) के सुप्रीमो शरद पवार ने इंडिया टीवी से खास बातचीत की। उन्होंने बातचीत में कहा कि इंडिया एलायंस में कुछ 24-25 छोटे राजनीतिक दल है। इनमें से कई ऐसे दल है जिनके पास एक एम है और कइयों के पास तो वो भी नहीं। ऐसी सब पार्टियों के लिए हमें ये सोचना होगा कि हमारी विचारधारा क्या है? 

इनमें से कई सारी राजनीतिक पार्टियों की विचारधारा नेहरू गांधी की विचारधारा है। मैं सबकी बात नहीं करता। ऐसे छोटे दलों में कभी-कभी ये चर्चा होती है कि मिलकर काम करेंगे या मर्ज करेंगे तो सफलता मिल सकती है और यह सिर्फ चर्चा का विषय है ये कोई प्रस्ताव नहीं है या कोई अंतिम निर्णय नही हुआ है और कुछ साथियों में इस विषय पर बातचीत होती है।

'बीजेपी और हममें वैचारिक अंतर'

पीएम मोदी पर उन्होंने हमला करते हुए कहा कि बीजेपी और हममें वैचारिक अंतर है, जहां वैचारिक मत भिन्नता हो तो उनका प्रस्ताव कैसे स्वीकार कर सकते है। भाजपा और मोदी साहब की जो विचारधारा है उसके आसपास भी हम जा नहीं सकते। हमारी कोशिश यही रहेगी कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना हो कांग्रेस हो या फिर हमारी पार्टी हो। हमें साथ रहकर एक मजबूत विकल्प देना है, इस विषय में बैठकर ये तय कर सकते है कि उद्धव ठाकरे इसका नेतृत्व करें या कोई और करे। इससे मामले में आपस में बैठकर रास्ता निकल सकता है और इस लाइन पर जाना हमें पसंद है।

'हमारे वैचारिक मतभेद हैं'

हमारे कुछ साथी चुनाव नतीजों के बाद से ही भाजपा के साथ जाना चाहते थे उन्होंने 2-3 बार मुझसे कहा भी की हम सब मिलकर जाएंगे। वैचारिक भिन्नता होने की वजह से मैं तयार नही था। एक बार मैंने बात करने के लिए स्वीकृति दी ये बात सच है, लेकिन मैंने उसको स्वीकार कभी नहीं किया। मैं उनके साथ गया नहीं क्योंकि हमारे वैचारिक मतभेद हैं। साल 2014 में चुनाव के बाद मैंने भाजपा को समर्थन दिया वो मेरी रणनीति का हिस्सा था। सेना भाजपा को अलग रखना था क्योंकि इसी में महाराष्ट्र की भलाई थी।

'देवेन्द्र फडणवीस के साथ शपथ मेरी गुगली थी'

2019 में अजित पवार और देवेन्द्र फडणवीस की सुबह शपथ मेरी गुगली थी, उन लोगों को ये बात समझ आई लेकिन हमारे लोगों को समझ नहीं आया। साल 2019 में हमने जो चुनाव लड़ा था वो बीजेपी के खिलाफ लड़ा था और हमें लोगों ने इसीलिए वोट किया था। हमे जो मैंडेट मिला था वो बीजेपी के खिलाफ था और जब मेंडेट बीजेपी के खिलाफ था तो फिर बीजेपी के साथ जाने की बात करना सही नहीं था, जिसका समर्थन फिर मैंने नहीं किया।

भाजपा और शिवसेना के हिंदुत्व में बताया फर्क

भाजपा और शिवसेना के हिंदुत्व के सवाल पर शरद पवार ने कहा कि भाजपा और शिवसेना के हिंदुत्व में बहुत फर्क है। इंदिरा गांधी जब प्रधानमंत्री थी तब बाललासहेब ठाकरे ने सार्वजनिक बयान दिया था और इंदिरा गांधी को समर्थन दिया था, इसलिए शिवसेना की लीडरशिप और सोच में भाजपा की लीडरशिप और सोच में बहुत फर्क है और ये फर्क हमारे साथ काम करने के लिए फ़ायदेमंद है।

अजित पवार के सवाल पर साधी चुप्पी

अजित पवार को लेकर जब सवाल किया गया आखि क्या नाराजगी रही तो उस पर जवाब दिया कि अजित पवार को सरकार में काम करने का मौका मिला। कई बार उपमुख्यमंत्री बने, विपक्ष का नेता बनने का जब मौका आया तब वो जिम्मेदारी भी उनपर आई, इसलिए मुझे अब इस पर ज्यादा कुछ नहीं कहना। मुझे ज्यादा कुछ बोलना नहीं है। मुझपर मेरे दल पर यशवंतराव चव्हाण (महाराष्ट्र के प्रथम मुख्यमंत्री के संस्कार हैं इसलिए मैं फैक्ट्स छोड़ कर बोलता नहीं। बारामती चुनाव के नतीजे आने पर पता चलेगा कि किसने क्या किया?

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