मुंबई: महाराष्ट्र की सरकार ने जलयुक्त शिवार जल संरक्षण योजना में ‘‘अनियमितताओं’’ की जांच एसआईटी को सौंपने का निर्णय किया है क्योंकि कैग की रिपोर्ट में इसकी गुणवत्ता और नतीजों पर सवाल उठाए गए हैं। यह जानकारी बृहस्पतिवार को गृह मंत्री अनिल देशमुख ने दी। पूर्ववर्ती देवेन्द्र फडणवीस नीत सरकार के समय शुरू की गई जलयुक्त शिवार योजना की राज्य सरकार द्वारा जांच कराने की घोषणा करने के एक दिन बाद उनका यह बयान आया है।
देशमुख ने ट्वीट किया, ‘‘कैग की रिपोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस जी द्वारा शुरू की गई जलयुक्त शिवार योजना की गुणवत्ता, खर्च और नतीजों पर कई सवाल उठाए गए हैं। इसलिए हमने इस योजना में अनियमितताओं की जांच एसआईटी को सौंपने का निर्णय किया है और फिर उसी मुताबिक आगे की कार्रवाई की जाएगी।’’ ‘‘जलयुक्त शिवार अभियान’’ फडणवीस की महत्वाकांक्षी योजना थी, जिसे 2014 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य महाराष्ट्र को 2019 तक सूखा मुक्त करना था।
योजना में नहरों को गहरा और चौड़ा करना, नालों पर काम करना और खेतों में तालाब खोदना आदि शामिल था। फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार में 2014 से 2019 तक शिवसेना भी शामिल थी, जिसके अध्यक्ष उद्धव ठाकरे अब राज्य के मुख्यमंत्री हैं। बहरहाल, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने पिछले महीने राज्य विधानसभा को जो रिपोर्ट सौंपी, उसमें बताया गया कि योजना के तहत 9633.75 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन वह ज्यादा प्रभावी साबित नहीं हुई। कैग ने कहा था कि इससे भूजल स्तर बढ़ाने का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सका और इसके कामकाज में पारदर्शिता की कमी थी।