Shiv Sena Crisis: सुप्रीम कोर्ट ने आज शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट की उस याचिका पर सुनवाई की जिसमें कहा गया है कि उसे ही मूल शिवसेना माना जाए और पार्टी का चुनाव चिह्न दिया जाए। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को एकनाथ शिंदे गुट को लेकर हड़बड़ी में कोई फैसला न लेने का निर्देश दिया। चीफ जस्टिस एन.वी. रमण, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की एक पीठ ने कहा कि वह महाराष्ट्र के हाल के राजनीतिक संकट से संबंधित मामलों को संविधान पीठ के पास भेजने पर सोमवार तक फैसला लेगी।
उद्धव ठाकरे गुट को मिले वाजिब समय
अदालत ने निर्वाचन आयोग से यह भी कहा कि अगर उद्धव ठाकरे गुट शिंदे की याचिका पर भेजे नोटिस का जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगे, तो उनके अनुरोध पर गौर किया जाए और वाजिब समय देने पर विचार किया जाए। पीठ ने कहा कि वकीलों ने ऐसे मुद्दे उठाए हैं, जो काफी महत्वपूर्ण हैं और यह निर्णय करना जरूरी है कि इस मामले को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष भेजा जाए या नहीं। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘हम इस पर फैसला लेंगे। वहीं याचिकाकर्ताओं (शिंदे गुट) द्वारा जवाब देने के लिए चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित तारीख आठ अगस्त है। अगर उन्हें (उद्धव गुट को) मामला लंबित होने की वजह से जवाब दाखिल करने के लिए और अधिक समय चाहिए हो तो वे इसके लिए आवेदन दें। निर्वाचन आयोग वाजिब समय देने के लिए स्वतंत्र है।’’
शिवसेना के चुनाव चिह्न पर छिड़ा है घमासान
सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र में हालिया राजनीतिक संकट के दौरान शिवसेना और उसके बागी विधायकों की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। इस संकट से राजनीतिक दलों में विभाजन, विलय, दल-बदल और अयोग्य करार दिये जाने समेत कई संवैधानिक मुद्दे पैदा हुए हैं। गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने हाल ही में शिवसेना के दोनों प्रतिद्वंद्वी गुटों को पार्टी और उसके चुनाव चिह्न (धनुष और बाण) पर अपने-अपने दावों के समर्थन में आठ अगस्त तक दस्तावेज जमा करने का निर्देश दिया था। शिंदे गुट ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर उसे लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा में दी गई मान्यता का हवाला देते हुए (मूल) शिवसेना का चुनाव चिह्न आवंटित करने की मांग की थी, तब ठाकरे समूह ने आयोग के समक्ष एक प्रतिवेदन दायर किया था।