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महाराष्ट्र: शरद पवार ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना, कहा- राज्य में पांच चरणों में चुनाव कराने की क्या है आवश्यकता?

शरद पवार ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा है। शरद ने कहा कि राज्य में पांच चरणों में चुनाव लेने की आवश्यकता क्या है। साफ है सत्ताधारी डरे हुए हैं।

Sharad Pawar- India TV Hindi Image Source : PTI प्रतिकात्मक फोटो

कोल्हापुर: महाराष्ट्र की राजनीति पिछले कई सालों से उथल-पुथल देख रही है। लोकसभा चुनाव को लेकर भी राज्य की राजनीति में काफी उबाल देखने को मिला। आज कोल्हापुर में शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में पांच चरणों में चुनाव लेने की आवश्यकता क्या है इससे साफ जाहिर होता है कि सत्ताधारियों की चिंता बढ़ी हुई है और उसकी दूसरी वजह यह भी है कि प्रधानमंत्री को बार-बार चुनाव प्रचार करने का मौका मिले, महाराष्ट्र में आने का मौका मिलेगा इसीलिए सोच समझकर पांच चरणों में महाराष्ट्र में मतदान रखा गया है।

'पीएम कर रहे मुद्दों को भटकाने का एकमात्र काम'

शरद पवार ने आगे कहा कि मूलभूत मुद्दों को दरकिनार कर मुद्दों को भटकाने का एकमात्र काम नरेंद्र मोदी कर रहे है। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण शैली की शरद पवार ने नकल की और कहा कि शरद पवार और उद्धव ठाकरे का नाम लिए बगैर प्रधानमंत्री को संतुष्टि नहीं मिलती है। एनसीपी (शरद गुट) के चीफ ने कहा कि नरेंद्र मोदी के भाषण की एक स्टाइल है- उदाहरण के लिए अगर वो कोल्हापुर में आते है तो वे हाथ जोड़कर कहेंगे नमस्कार कोल्हापुरकर और वे भाषण की शुरुआत करेंगे और फिर फुले साहु आंबेडकर का नाम लेंगे। वो जिस जगह जाते है वहां वे शुरुआत के दो-चार वाक्य जो उनके स्थानीय नेता लिखकर बोलते हैं, उतना वो बोलकर आगे भाषण करते है यह उनके भाषण की स्टाइल है।

 'नरेंद्र मोदी ने प्रथम मुख्यमंत्री का नाम नहीं लिया'

पवार ने आगे कहा कि नरेंद्र मोदी ने सातारा जिले के कराड में हुई सभा में महाराष्ट्र के प्रथम मुख्यमंत्री यशवंतराव चव्हाण का नाम नहीं लिया। अब स्थानीय नेताओं को यशवंतराव चव्हाण के बारे में कितनी आस्था है यह भी एक सवाल है। धर्म के आधार पर आरक्षण यह सकल्पना ही हमें मंजूर नहीं यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ऐसा करने का प्रयास किया तो वह भी हमे मंजूर नहीं होगा हम उसके खिलाफ़ संघर्ष करेंगे।

'इसलिए कर रहे जाति आधारित जनगणना की मांग'

शरद पवार ने आगे कहा कि अगर धर्म आधारित आरक्षण दिया तो समाज में तनाव फैलेगा, कटुता फैलेगी इस रास्ते जाना ही नहीं है। जाति आधारित जनगणना की हम बात इसीलिए कर रहे हैं ताकि समाज का जो वंचित घटक है, मुख्यधारा से बाहर है, उनकी संख्या कितनी है, ये जानने के लिए हम जाति आधारित जनगणना की मांग कर रहे हैं।

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