Sameer Wankhede: एनसीबी के पूर्व जोनल अधिकारी समीर वानखेड़े मामले में एनसीपी (NCP) नेता नवाब मलिक को झटका लगा है। मलिक की ओर से वानखेड़े की जाति को लेकर लगाए गए आरोपों पर कास्ट स्क्रूटनी कमिटी की रिपोर्ट आई है। कमिटी ने इस मामले में समीर वानखेड़ को क्लीन चिट दे दी है। बता दें कि समीर वानखेड़े की जाति को लेकर साल भर से विवाद चल रहा था।
कमेटी ने समीर वानखेड़े के जाति प्रमाणपत्र को बरकरार रखा है। कास्ट स्क्रूटनी कमिटी ने उस दलील को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि समीर वानखेड़े जन्म से मुसलमान हैं। कमेटी ने अपने आदेश में कहा है कि समीर वानखेड़े और उनके पिता ज्ञानेश्वर वानखेड़े ने हिंदू धर्म का त्याग नहीं किया था और ना ही मुस्लिम धर्म को अपनाया था। कमिटी ने कहा कि समीर वानखेड़े और उनके पिता हिंदू धर्म के महार-37 अनुसूचित जाति के हैं, ये सिद्ध होता है।
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जांच कर रही कमेटी ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रह चुके नवाब मलिक, मनोज संसारे, अशोक काम्बले और संजय काम्बले ने जो समीर वानखेड़े की जात प्रमाणपत्र को लेकर जो शिकायत की थी उसने कोई तथ्य नहीं मिला, इस वजह से उनकी शिकायत को रद्द किया जाता है। समीर वानखेड़े ने कमेटी के आदेश का स्वागत किया है। उन्होंने ट्वीट किया, "सत्यमेव जयते।"
मलिक ने वानखोड़े के जन्म प्रमाणपत्र की कॉपी पोस्ट की थी
गौरतलब है कि यह पूरा मामला पिछले साल तब सामने आया था जब समीर वानखेड़े मुंबई में नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के प्रमुख थे। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने एनसीबी के जोनल निदेशक समीर वानखेड़े के जन्म प्रमाण पत्र पर सवाल उठाया था। मलिक ने अपने ट्विटर हैंडल पर वानखोड़े के जन्म प्रमाण पत्र की एक कॉपी पोस्ट की थी, जिसमें उनके पिता का नाम दाऊद वानखेड़े बताया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि वानखेड़े ने एससी श्रेणी के तहत IRS में नौकरी हासिल करने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया।
वानखेड़े ने जाति को लेकर लगाए आरोप पर क्या कहा?
मामले को लेकर उस समय समीर वानखेड़े ने आरोप लगाया था कि नवाब मलिक ने एक कैबिनेट मंत्री के रूप में उनके जाति प्रमाण पत्र का मुद्दा केवल इसलिए उठाया था, क्योंकि उनकी टीम ने मलिक के दामाद समीर खान को ड्रग मामले में गिरफ्तार किया था। समीर की रिहाई के बाद मलिक ने ये आरोप लगाने शुरू कर दिए थे। साल 2021 के ड्रग क्रूज मामले में, जिसमें शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान का नाम भी शामिल था। इस मामले ने भी वानखेड़े विरोधी अभियान को और अधिक बल दिया।