Sameer Wankhede Case: एनसीपी के नेता नवाब मलिक पर मुंबई के पूर्व जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े ने FIR दर्ज कराई है। वानखेड़े ने FIR मुंबई के गोरेगांव पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाया है। अब इस मामले की जांच गोरेगांव डिवीजन के ACP करेंगे। आपको बता दें कि समीर वानखेड़े ने यह मामला SC-ST एक्ट के तहत दर्ज कराया है। दरअसल, आर्यन खान की गिरफ्तारी के बाद मलिक ने मंत्री रहते हुए वानखेड़े पर SC ST के फर्जी दस्तावेज बनाकर नौकरी हासिल करने का आरोप लगाया था और वानखेड़े को मुस्लिम बताया था। अब हाल ही इस मामले पर SC-ST कमीशन ने वानखेड़े को क्लीन चिट दे दी है। SC-ST कमीशन से क्लीन चिट मिलने के बाद ही वानखेड़े ने नवाब मलिक पर FIR दर्ज करवाई है। ऐसे में नवाब मलिक जो D कंपनी की अवैध तरीके से संपत्ति खरीदने और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में पहले से ही जेल में हैं। अब इस नई FIR से उनकी मुसीबत तो बढ़ेगी ही लेकिन मुंबई में एक बार फिर से मलिक VS वानखेड़े पार्ट 2 शुरू हो जाएगा।
समीर वानखेड़े को SC-ST कमीशन ने दी 'क्लीन चिट'
NCB के पूर्व मुंबई जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े को एक दिन पहले SC-ST कमीशन ने 'क्लीन चिट' दे दी थी। समीर पर यह आरोप था कि वह सरकारी नौकरी पाने के लिए जाली जाति प्रमाण पत्र जमा किए थे। आरोप को लेकर जांच की गई थी। मामले पर एक अधिकारी ने बताया कि यह आदेश महाराष्ट्र सरकार के सामाजिक न्याय विभाग ने शुक्रवार को जारी किया। आदेश में कहा गया है कि IRS के अधिकारी वानखेड़े जन्म से मुस्लिम नहीं थे। यह साबित हो गया है कि वह महार जाति से हैं, जो अनुसूचित जाति (SC) श्रेणी में आती है।
NCP के नेता नवाब मलिक ने लगाया था यह आरोप
वानखेड़े की जाति का मुद्दा महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता नवाब मलिक ने उठाया था। वानखेड़े के खिलाफ राजनीतिक नेता मनोज संसारे, अशोक कांबले और संजय कांबले समेत शिकायतकर्ताओं ने आवेदन दायर किए थे। मुंबई जिला जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति ने शिकायतों की जांच की और शुक्रवार को उसी पर एक आदेश पारित किया। आदेश में कहा गया है कि यह साबित नहीं हुआ कि वानखेड़े और उनके पिता ज्ञानदेव वानखेड़े ने हिंदू धर्म को त्याग कर स्वयं को विधिवत इस्लाम में परिवर्तित किया था। आदेश में ये भी कहा गया है कि इससे यह साबित होता है कि वानखेड़े और उनके ससुर महार-37 अनुसूचित जाति के हैं। आदेश में कहा गया है कि नवाब मलिक और अन्य द्वारा वानखेड़े के जातिगत दावे और जाति प्रमाण पत्र के धर्म के संबंध में दायर शिकायतों की पुष्टि नहीं की जाती है, जिसके बाद शिकायत में तथ्यों की कमी के कारण शिकायतों को खारिज कर दिया गया।