सुशांत नाम रखकर ट्राइडेंट होटल में रुका था वाजे, दिया था फर्जी आधार कार्ड !
सचिन वाज़े मुंबई के ट्राइडेंट होटल में फर्जी आधार कार्ड दिखाकर रुका था। सचिन ने होटल में जो आईडी कार्ड दिखाया उस पर फोटो तो सचिन वाज़े की थी लेकिन नाम था सुशांत सदाशिव खामकर।
मुंबई. मनसुख मर्डर केस में लगातार विस्फोटक खुलासे हो रहे हैं। अब बड़ी खबर ये है कि सचिन वाज़े मुंबई के ट्राइडेंट होटल में फर्जी आधार कार्ड दिखाकर रुका था। सचिन ने होटल में जो आईडी कार्ड दिखाया उस पर फोटो तो सचिन वाज़े की थी लेकिन नाम था सुशांत सदाशिव खामकर। इसी फर्जी आधार कार्ड के दम पर सचिन वाज़े 16 से 20 फरवरी तक मुंबई के ट्राइडेंट होटल में रुका था।
वाजे मुंबई के लग्जरी होटल से कैसे चलाता था वसूली रैकेट (IANS)
एसयूवी मामले का मुख्य आरोपी और गिरफ्तार किया गया पूर्व पुलिस अधिकारी सचिन वाजे दक्षिणी मुंबई के मरीन ड्राइव में सी फेसिंग लग्जरी होटल से जबरन वसूली का रैकेट चलाता था। एनआईए के सूत्रों ने बताया कि वाजे द्वारा इस्तेमाल की गई लैंड क्रूजर के सीसीटीवी फुटेज से पता चलता है कि मुकेश अंबानी के घर के पास विस्फोटक से भरी एसयूवी खड़ी करने की साजिश को अंजाम देने से पहले भी मुंबई का यह बदनाम पुलिस अधिकारी इस होटल का इस्तेमाल कर रहा था। इतना ही नहीं एसयूवी के मालिक मनसुख हिरेन की हत्या में कथित रूप से शामिल वाजे का करीबी विनायक शिंदे भी इस होटल में स्पॉट किया गया था।
यह होटल वाजे के क्राइम ब्रांच ऑफिस से महज 10 मिनट की ड्राइव पर है। वाजे के इस तरह अंडरवल्र्ड से जुड़े होने पर भाजपा के प्रवक्ता और विधायक राम कदम ने कहा है कि क्राइम ब्रांच के अधिकारी द्वारा प्रसिद्ध होटल से ऐसा वसूली रैकेट संचालित किया जाना साफ दर्शाता है कि उसे सरकार में उच्च पदस्थ लोगों द्वारा संरक्षण दिया गया था।
कदम ने आगे कहा, "क्रिकेट पर सट्टेबाजी कराने वाले सिंडिकेट्स से लेकर बार और रेस्तरां से हफ्ता वसूली करने तक वाजे इस संगठित आपराधिक गिरोह को मालिक के तौर पर संचालित करता था। मुझे तो यह भी पता चला है कि सरकार ने कोविड-19 उपायों के नाम पर जो रात को 11 बजे के बाद बार बंद करने का निर्देश दिया था, उसका मकसद ही यह था कि चुनिंदा बार से हफ्ता देकर उन्हें आधी रात के बाद भी खोलने की अघोषित अनुमति दी जा सके और ऐसा हुआ भी।"
वहीं मनसुख हिरेन की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया मुंबई का एक प्रमुख क्रिकेट सट्टेबाज नरेश धारे कथित तौर पर महाराष्ट्र में सक्रिय विभिन्न सट्टेबाजी सिंडिकेट्स से वाजे के लिए पैसा इकट्ठा करता था। कदम ने यह भी खुलासा किया है, "ऐसे लग्जरी होटलों में महंगे सुइट्स बुक करके वाजे विभिन्न सिंडिकेट्स के संचालकों के साथ गुप्त बैठकें करता था। मुंबई पुलिस की क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट का नेतृत्व करने वाले वाजे ने ऐसे अपराध सिंडिकेट के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उन्हें शरण दी हुई थी।"
क्राइम ब्रांच मुंबई के एक पूर्व इंस्पेक्टर, जिनके अंडर में वाजे ने काम किया, वो कहते हैं, "इस बदनाम पुलिस अधिकारी ने सट्टेबाजी और हवाला रैकेट के कई मामलों की जांच की थी। काफी समय बाद मुझे पता चला कि वाजे के संयुक्त अरब अमीरात और अन्य मध्य-पूर्वी देशों से संचालित होने वाले सट्टेबाजी सिंडिकेट किंग्स से संबंध बना है।"
एनआईए के अधिकारी अब वाजे के अन्य सहयोगियों के बारे में भी जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं जिन्होंने उसे जिलेटिन की छड़ें खरीदने, सिम कार्ड समेत अन्य गैजेट्स प्राप्त करने और पैसे का इंतजाम करने में मदद की। सूत्र कहते हैं कि वाजे अपने पूर्व सहयोगी शिंदे को एक बड़ी रकम भी दे रहा था, जो कि पुलिस मुठभेड़ मामले में उम्रकैद की सजा पा चुका था और पैरोल पर जेल से बाहर था। वह तमाम गैर कानूनी कामों में वाजे की मदद कर रहा था। इतना ही नहीं कई और दागी पुलिस वाले भी वाजे के संपर्क में थे।
अब एनआईए 25 मार्च तक वाजे से पूछताछ करेगी। साथ ही वह कोर्ट में वाजे की रिमांड बढ़ाने का भी अनुरोध कर सकती है क्योंकि उसका नाम मनसुख हिरेन की हत्या में भी शामिल है। जिस पुलिस इंस्पेक्टर के तहत काम करके वाजे ने इलेक्ट्रॉनिक सर्विलेंस सीखी और उसकी मदद से कई अपराध गिरोहों का भंडाफोड़ किया। वे कहते हैं, "मनसुख की बेरहमी से की गई हत्या बताती है कि वाजे ने अपनी पहचान छुपाने के लिए अपने सहयोगी की ही हत्या कर दी और यही उसकी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती साबित हुई।"