नई दिल्ली: महाराष्ट्र में शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन 'महा विकास आघाडी' में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के व्यवहार से अब एनसीपी नाराज हो गई है। एनीसीपी सुत्रों का कहना हैं कि कुछ कांग्रेसी नेताओं के निजी महत्वकांक्षाओं के लिए इस तरह सरकार में दरार पैदा करना सही नहीं है। उनका कहना है कि कांग्रेस सार्वजनिक मंच पर कोई भी बयान ना दे। जो भी समस्या हो वो महा विकास आघाडी के समन्वय समिती के सामने रखें। सरकार अच्छे से चल रही है, चलने दें। विपक्ष इसका फायदा उठा सकता है।
विधान परिषद की 12 खाली सीटों को लेकर कांग्रेस नेता नाराज बताए जा रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस पार्टी चाहती है सीटों का बंटवारा तीन पार्टियों के बीच बराबर हो। वर्तमान में शिवसेना के खाते में पांच, एनसीपी को 4 और कांग्रेस के खाते में तीन सीटें जाने की चर्चा है। अशोक चव्हाण ने कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे बैठक के साथ में इस मुद्द को सुलझाया जाएगा।
इस बीच शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में महाराष्ट्र की महा विकास आघाड़ी सरकार के घटक दलों की आपसी खींचतान के मुद्दे पर बात की गई है। इस पर ‘सामना’ के संपादकीय में कहा गया है कि शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली सरकार को कोई खतरा नहीं और थोड़ी-बहुत कुरकुर तो होगी ही।
सामना में लिखा है, "जब उद्धव ठाकरे छह महीने पहले मुख्यमंत्री बने तो महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि पूरे देश में उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। उस दौरान जिनके पेट में दर्द था, उन लोगों ने पूछा था कि क्या यह सरकार एक महीने भी चल पाएगी? लेकिन वैसा कुछ नहीं हुआ। होने की संभावना भी नहीं है।"
सामना में आगे लिखा है, "सरकार ने छह महीने का चरण पूरा कर लिया है। तीन विविध विचारधारा वाले दलों की सरकार बनी। उस सरकार की बागडोर सर्वसम्मति से उद्धव ठाकरे को दी गई। राज्य के मामले में मुख्यमंत्री का निर्णय ही अंतिम होता है, ऐसा तय होने के बाद कोई और सवाल नहीं रह जाता।"