पुणे पोर्शे कार हादसा: ड्राइवर नहीं नाबालिग आरोपी ही चला रहा था कार, सीपी अमितेश कुमार ने दी कई अहम जानकारियां
पुणे में हुए पोर्शे कार हादसा मामले की जांच जारी है। इस बीच पुलिस ने यह कंफर्म कर दिया है कि हादसे के वक्त ड्राइवर नहीं बल्कि नाबालिग आरोपी ही गाड़ी चला रहा था। इस मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अधिकारी ने कई अहम जानकारियां भी दी हैं।
पुणे पोर्शे कार हादसा मामले की जांच जारी है। इस बीच सीपी अमितेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि शुरुआत में ही मैंने बताया था कि यह घटना रात ढाई बजे की है। उसके बाद सुबह लगभग 8 बजे के करीब स्थानीय पुलिस स्टेशन नें धारा 304 के तहत मामला दर्ज किया गया। उसके बाद हमने कोर्ट में अपील की कि आरोपी को रिमांड होम में रखा जाए, लेकिन हमारी अर्जी खारिज होने के बाद हमने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। पुणे पुलिस ने कहा कि इस मामले में ब्लड सैंपल की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उन्होंने धारा 304 लगाई है। आरोपी इस बात को ठीक तरह से जानता था कि वह क्या कर रहा है और पुलिस का केस केवल ब्लड रिपोर्ट के आधार पर नहीं टिका होता है।
पुणे कार हादसे पर पुलिस की प्रेस कॉन्फ्रेंस
उन्होंने कहा कि पुलिस ने इस मामले में दो ब्लड सैंपल लिए। सुबह 9 बजे पुणे के सुसून अस्पताल में नाबालिग आरोपी को भेजा गया और 11 बजे के आस-पास उसका पहला ब्लड सैंपल लिया गया। उसके बाद शाम को दूसरे अस्पताल में उसका ब्लड सैंपल लिया गया। वह डीएनए प्रक्रिया और अन्य जानकारी इकट्ठा करने के लिए लिया गया है। शाम 7 से 8 बजे के बीच दूसरा सैंपल लिया गया। पुलिस ने इस बात को माना की इस घटना के दौरान ड्राइवर का नाम डालने की कोशिश की गई और सबूतों को मिटाने की कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि जिन्होंने भी सबूत नष्ट करने की कोशिश की है, उनपर धारा 201 के तहत कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में कई घटनाक्राम ऐसे हैं जो सही नहीं थे और पुलिस उनपर जांच कर रही है। ड्राइवर ने शुरुआती जांच में कहा था कि वह गाड़ी चला रहा था। ड्राइवर ने किसके दबाव में यह बात कही, इसपर जांच जारी है।
दुर्घटना वाली रात विधायक पहुंचे थे थाने
केस की जांच कर रहे सीपी अमितेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि दुर्घटना वाली रात अजीत पवार गुट के विधायक सुनील टिंगरे पुलिस स्टेशन आए थे। इसमें कोई दो राय नहीं है। यह रिकॉर्ड पर है। लेकिन पुलिस द्वारा क्या कार्रवाई की गई थी, किस प्रकार की गई, फिलहाल उसपर कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा। इस पूरे मामले में दो एफआईआर दाखिल की गई थी। सुबह जब एफआईआर दर्ज की गई तो आईपीसी की धारा 304 ए के तहत दर्ज की गई। उसके कुछ घंटे बाद उसमें धारा 304 जोड़ी गई। दूसरी एफआईआर उनके पिता और अन्य लोगों पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत दाखिल की गई।
हादसे के वक्त कार में सवार थे 4 लोग
उन्होंने कहा कि आरोपी के नाम से जो वीडियो वायरल करने की कोशिश की गई, उसपर पुलिस जांच कर रही है। आपको बता दें कि वह ववीडियो आरोपी द्वारा नहीं बनाया गया था। पुलिस इस बात की पुष्टि कर चुकी है कि वीडियो किसके द्वारा बनाया गया। हालंकि फिलहाल उसपर किन धाराओं के तहत कार्रवाई की जाए, इस प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया है। जांच के दौरान यह पता लगा है कि उस दिन गाड़ी में कुल मिलाकर 4 लोग थे। एक नाबालिग आरोपी, दो अन्य लोग और उसके अलावा ड्राइवर भी मौजूद था। अन्य लोग जो उस पब में मौजूद थे, उन्हें पुलिस चश्मदीद बनाएगी और ड्राइवर का बयान भी इस मामले में महत्वपूर्ण होगा।
नाबालिग आरोपी ही चला रहा था गाड़ी
प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि प्राथमिक रूप से देखने पर यह लगता है कि उस दिन येरवडा पुलिस स्टेशन में अधिकारियों द्वारा कुछ गलतियां की गई जिस पर जल्द से जल्द उन सभी दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। हमारी मांग थी कि आरोपी पर एडल्ट की तरह कोर्ट में ट्रायल चलाया जाए, इसकी एक लंबी प्रक्रिया है जिसमें चार्जशीट दायर करना होता है, हमारे पास 90 दिनों का समय है। हम जल्द से जल्द कोर्ट में चार्जशीट दायर करेंगे और उसके बाद आरोपी को जुवेनाइल कोर्ट में ट्रायल के लिए ले जाया जाएगा या आम कोर्ट में यह चार्जशीट दायर करने के बाद निर्भर करता है। पुलिस ने यह साफ कर दिया है की नाबालिक आरोपी ही गाड़ी चला रहा था।