महाराष्ट्र के पुणे से एक अजीबोगरीब वाकया देखने को मिली। पुणे जिला अदालत ने पिछले हफ्ते औरतों को कोर्ट परिसर में बालों को संवारने पर रोक लगा दिया था। इसके लिए कोर्ट ने एक नोटिस जारी किया गया था। नोटिस में विस्तार से लिखा गया था कि महिला वकीलों को कोर्ट में सुनवाई के समय बाल नहीं संवारने हैं। इस नोटिस को पुणे के जिला अदालत के रजिस्ट्रार द्रारा आदेश जारी किया गया था।
अब आप सोच रहे होंगे कि अदालत ऐसा करने पर क्यों मजबूर हो गया? आइए मामले को समझते हैं। महिला वकीलों के बार-बार देखा गया कि महिला वकील कोर्ट परिसर में जब बाल संवारने लगती थी तो कोर्ट के काम काफी बाधा पहुंचता था। अब डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने महिला वकीलों के सख्त निर्देश दिया गया था।
'महिला वकीलों से किसका ध्यान भटक रहा है'
नोटिस जारी होते ही कई महिला वकील काफी चकित हो गई। पुणे की क्रिमिलन लॉयर विजयलक्ष्मी खोपड़े ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए लिखा कि इस तरह के नोटिस का क्या मतलब है और कहा कि अगर महिलाओं के चेहरे पर बाल आ जाए तो उन्हें जल्दी से व्यवस्थित करने के लिए कहा जा सकता है और यह किसी भी मानक से परेशान करने वाला कार्य नहीं है। इस नोटिस के जारी होने के बाद से ही सोशल मीडिया पर काफी विरोध का सामना देखनो को मिल रहा है। वरिष्ठ वकिल इंदिरा जयसिंह भी शामिल थी। उन्होंने ट्विट करते हुए लिखा कि 'वाह अब देखो! महिला वकीलों से किसका ध्यान भटक रहा है और क्यों'। वही कुछ लेखक मिनी नायर ने पूछा कि 'आश्चर्य है कि वे कब हमसे अस्तित्व को समाप्त करने के लिए कहेंगे?'
विरोध के बाद लेना पड़ा वापस
इस मुद्दे पर लोगों ने जमकर सोशल मीडिया पर लिखा। सेलेब फोटोग्राफर अतुल कसबेकर ने कहा कि 'पुरुष एक महिला के बाल संवारने से इस हद तक परेशान हो रहे हैं? वही एक सोशल मीडिया यूजर खालिदा परवीन ने कहा कि 'गंभीरता से, यह एक मजाक है। आमतौर पर पुरुष अपने बाल ठीक करते हैं। यहां तक कि वे अपनी जेब में एक छोटी सी कंघी पर रखते हैं'। कोर्ट के इस निर्देश के बाद फरमान को वापस ले लिया गया है। एक अधिकारी ने बताया कि महिलाओं के भावनाओं को आहत करने के इरादे से इस नोटिस को जारी नहीं किया गया था। कोर्ट का मकसद सिर्फ मर्यादा बनाए रखना था।