मुंबई: महाराष्ट्र में मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर के पत्र के बाद वहां की राजनीति में आए तूफान के बाद परमबीर सिंह ने एक और बड़ा कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की और अपनी याचिका में महाराष्ट्र के गृह मंत्री के कथित भ्रष्टाचार की सबूत नष्ट होने से पहले जांच की मांग की है। इस बीच महाराष्ट्र के मंत्री एवं कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट ने कहा है कि मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने शायद दबाव में आकर महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ वह पत्र लिखा होगा, जिसमें उन्होंने मंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।
बालासाहेब थोराट ने एक वीडियो संदेश में कहा कि महाराष्ट्र के कांग्रेस प्रभारी एच के पाटिल ने राज्य में पार्टी के नेताओं के साथ विवाद पर चर्चा की और मामले पर उनकी राय समझने की कोशिश की। थोराट ने कहा, ‘‘एच के पाटिल ने दिल्ली से कल इस मुद्दे पर हमसे चर्चा की। उन्होंने हमारी राय समझने की कोशिश की। उन्होंने घटनाक्रम समझने की कोशिश की।’’
थोराट ने कहा कि अगर इस संबंध में कोई भी फैसला किया गया, तो वह महाविकास आघाडी (एमवीए) के घटक दलों के बीच चर्चा करने के बाद लिया जाएगा। शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस एमवीए में शामिल है। सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर दावा किया कि एनसीपी के वरिष्ठ नेता अनिल देशमुख ने मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वाजे तथा अन्य पुलिस अधिकारियों से मुंबई के बार एवं होटलों से हर महीने 100 करोड़ रुपये वसूलने के लिए कहा था। देशमुख ने इन सभी आरोपों को खारिज किया है।
थोराट ने कहा, ‘‘मामले की उचित तरीके से जांच की जा रही है। सिंह के पत्र लिखने की मंशा को लेकर हमें संदेह है। हमारी राय में सिंह ने शायद किसी दबाव में आकर वह पत्र लिखा।’’ देशमुख के इस्तीफा देने के सवाल पर सिंह ने कहा कि केवल किसी अधिकारी के आरोप लगाने पर मंत्री का इस्तीफा देना गलत होगा। थोराट ने कहा, ‘‘सिंह की इसको लेकर मंशा जानना भी जरूरी है कि कहीं वह किसी दबाव में तो नहीं थे।’’
सिंह ने पत्र में यह भी दावा किया था कि देशमुख चाहते थे कि लोकसभा सदस्य मोहन डेलकर को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला मुंबई में दर्ज किया जाए। दादरा और नागर हवेली से सात बार के सांसद डेलकर 22 फरवरी को दक्षिण मुंबई में मरीन ड्राइव पर स्थित एक होटल में मृत पाए गए थे। थोराट ने इस पर हैरानी जताते हुए कहा कि जब घटना मुंबई में हुई है, तो प्राथमिकी यहां दर्ज किए जाने में गलत क्या है।
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