मुंबई. मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह मुंबई पहुंच गए हैं। मुंबई एयरपोर्ट से वो सीधे मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच के दफ्तर पहुंचे। जबरन वसूली केस में नाम आने के बाद से परमबीर सिंह फरार चल रहे थे। मुंबई एयरपोर्ट पहुंचने पर परमबीर सिंह ने कहा कि वो जांच में शामिल होने आए हैं।
एयरपोर्ट से परमबीर सीधे क्राइम ब्रांच के दफ्तर पहुंचे। मुंबई की कोर्ट ने परमबीर सिंह को भगोड़ा घोषित कर 30 दिन के अंदर पेश होने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट से गिरफ्तारी से राहत मिलने के बाद परमबीर सिंह आज मुंबई पहुंचे हैं। परमबीर सिंह पर मुंबई और ठाणे में जबरन वसूली के कई केस दर्ज हैं। परमबीर सिंह ने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट के हर आदेश का पालन करेंगे।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 22 नवंबर को परमबीर सिंह को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ महाराष्ट्र में दर्ज आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया। साथ ही न्यायालय ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि अगर पुलिस अधिकारियों और वसूली करने वालों के खिलाफ मामले दर्ज करने पर उन्हें तंग किया जा रहा है तो आम आदमी का क्या होगा। सुप्रीम कोर्ट ने परमबीर सिंह की याचिका पर महाराष्ट्र सरकार, इसके पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) संजय पांडे और सीबीआई को नोटिस जारी किये।
शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की कि परमबीर सिंह द्वारा लगाये गये भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच का समाना कर रहे राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख और सिंह से संबंधित यह मामला लगातार कौतुहल भरा होता जा रहा है। पीठ ने कहा, ‘‘मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त का कहना है कि मुझे मुंबई पुलिस से जान का खतरा है तो दूसरे लोगों के विश्वास का क्या होगा।’’ वरिष्ठ अधिवक्ता बाली ने कहा कि सिंह मुंबई के पुलिस आयुक्त थे और उनके अपने सूत्र हैं और यह भी एक तथ्य है कि देशमुख के भ्रष्टाचार का मामला उठाने के बाद ही ‘‘जबरन वसूली करने वालों, सट्टेबाजों और पुलिस अधिकारियों’’ ने ही उनके खिलाफ कम से कम छह आपराधिक मामले दर्ज कराये हैं जिनके विरुद्ध एक पुलिस अधिकारी के रूप में उन्होंने कार्रवाई की थी।
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि यह इस बात का पर्याप्त सबूत है कि उन्हें तंग किया जा रहा है। पीठ ने कहा, ‘‘यह कथित तौर पर पूर्व आयुक्त के साथ हो रहा है। हमें आश्चर्य है कि एक आम आदमी का क्या हो सकता है। तत्कालीन गृह मंत्री और तत्कालीन आयुक्त के बीच यह मामला और भी दिलचस्प हो गया है।’’ पीठ ने अपने आदेश दिया, ‘‘नोटिस जारी किया जाता है। छह दिसंबर को इसका जवाब देना होगा। इस बीच, याचिकाकर्ता जांच में शामिल होगा और उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।’’